सीमा कुमारी
नई दिल्ली: ‘हलषष्ठी’ हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती हैं। इस साल ये पावन तिथि आज यानी 5 सितंबर को हैं। सनातन धर्म में ‘हल षष्ठी’ (Hal Shashthi 2023) व्रत का बड़ा महत्व है यह व्रत खासतौर पर संतान की दीर्घायु और खुशहाली के लिए रखा जाता हैं। शास्त्रों के अनुसार, हल षष्ठी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम की पूजा अर्चना की जाती है। इसलिए इसे बलराम जयंती के नाम से भी जानते हैं। इस दिन को गुजरात में राधव छठ के नाम से जानते हैं। आइए जानें हल षष्ठी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और धार्मिक महत्व-
शुभ मुहूर्त
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि की शुरुआत 4 सितंबर 2023 को शाम 04.42 बजे होगी और 5 सितंबर दोपहर 03.45 बजे इसका समापन होगा। ऐसे में उदया तिथि के मुताबिक हलषष्ठी का व्रत 5 सितंबर को रखा जाएगा। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान की आयु में वृद्धि होती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है। इस दिन बलराम जी के साथ-साथ भगवान विष्णु और शिव परिवार की पूजा का विधान भी हैं।
पूजा विधि
हल षष्ठी की पूजा के लिए आटे से एक चौक बनाया जाता हैं। इसके बाद इसमें झरबेरी, पलाश की टहनी और कांस की डाल बांधकर गाड़ दी जाती हैं। इसके बाद षष्ठी देवी की पूजा की जाती है और उनकी पूजा में चना, गेहूं, जौ, धान, अरहर, मूंग, मक्का और महुआ का इस्तेमाल किया जाता हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन खेती में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की भी पूजा की जाती हैं।
हल षष्ठी के दिन कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। इस दिन अन्न और फल नहीं खाया जाता और ना ही इस दिन गाय के दूध और दही का सेवन करना चाहिए। इस दिन चाहें तो सिर्फ भैंस का दूध और उससे बने दही का सेवन कर सकते हैं।
धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हल छठ या हल षष्ठी का व्रत संतान की लंबी आयु और सुखमय जीवन के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है और हल की पूजा के साथ बलराम की पूजा करती हैं। भगवान बलराम की कृपा से घर में सुख रहता है।