आज है सावन में ‘कालाष्टमी’, ‘इस’ रंग के फूल और ‘इस’ रंग के भोग चढ़ाएं महादेव शिव को, ग्रह-दोष से मिलेगी मुक्ति

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ‘कालाष्टमी’ (Kalashtami) मनाई जाती है। इस साल सावन माह (Sawan) की कालाष्टमी आज यानी 9 जुलाई रविवार को हैं। सावन की कालाष्टमी विशेष महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, क्योंकि इस दिन काल भैरव की पूजा  -उपासना की जाती है। साथ ही, विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति हेतु साधक व्रत उपवास भी रखते हैं। तंत्र-मंत्र सीखने वाले साधक कालाष्टमी की रात्रि में अनुष्ठान करते हैं।

इसमें कठिन भक्ति कर काल भैरव देव को प्रसन्न करते हैं। उनकी कृपा से साधक को सिद्धि प्राप्त होती है। कालाष्टमी तिथि पर विधिपूर्वक काल भैरव देव की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। आइए जानें पूजा का शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि एवं महत्व  

तिथि

सावन की ‘कालाष्टमी’ 9 जुलाई 2023, रविवार को है। धार्मिक मान्यता है कि, काल भैरव के भक्तों पर काल का साया भी नहीं मंडराता। बाबा काल भैरव को ‘काशी का कोतवाल’ भी कहा जाता है। काल भैरव की पूजा के बिना भगवान काशी विश्वनाथ की पूजा अधूरी मानी जाती है।

मुहूर्त  

पंचांग के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की कालाष्टमी 9 जुलाई 2023 को रात 7 बजकर 59 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 10 जुलाई 2023 को शाम 6 बजकर 43 मिनट पर खत्म होगी।

कालाष्टमी पर तांत्रिक पूजा निशिता काल में की जाती है लेकिन गृहस्थ जीवन वालों को इस दिन प्रदोष काल में काल भैरव और महादेव की पूजा करनी चाहिए। यही वजह है कि इस साल सावन कालाष्टमी 9 जुलाई को मान्य होगी।  

प्रदोष काल पूजा समय – रात 7.22 – रात 9.54 (9 जुलाई 2023)

निशिता काल मुहूर्त – प्रात: 12.06 – प्रात: 12.47 (10 जुलाई 2023)

पूजा विधि

इस दिन भगवान शिव के रूप काल भैरव पूजा की जाती है। सुबह स्नान के बाद चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान शंकर की माता पार्वती और गणेशजी के साथ तस्वीर स्थापित करें। इस दिन भगवान शंकर को विशेष रूप से नीले रंग के पुष्प चढ़ाएं और सफेद चीजों का भोग लगाएं। व्रती संध्या में फलाहार कर सकते हैँ। आधी रात को धूप, काले तिल, उरद की दाल, सरसो का तेल और दीपक चढ़ाकर काल भैरव रूप की पूजा करें।

महत्व

अघोरी समाज के लिए लोग धूमधाम से कालाष्टमी का पर्व मनाते हैं। इस दिन भगवान शिव और भैरव देव के मंदिरों को सजाया जाता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा के दर पर आते हैं। काल भैरव देव की पूजा-उपासना कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस अवसर पर उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में विशेष पूजा-आराधना की जाती हैं। साथ ही महाभस्म आरती की जाती है।