आज है बैसाख महीने का अंतिम प्रदोष, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: इस साल वैशाख मास का अंतिम ‘प्रदोष व्रत’ (Pradosh Vrat 2023) आज यानी 3 मई, बुधवार को है। शास्त्रों के अनुसार, ‘प्रदोष व्रत’ देवों के देव भगवान भोलेनाथ जी की पूजा-आराधना और उन्हें प्रसन्न करने के लिए समर्पित होता है। प्रदोष का व्रत रखने और पूजा-पाठ करने से भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं,और साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती है। आइए जानें कब है बुध प्रदोष व्रत, शुभ मुहूर्त और पूजा का समय?

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 2 मई 2023 को रात्रि 11 बजकर 17 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 3 मई 2023 रात्रि 11 बजकर 49 मिनट पर होगा। ऐसे में यह व्रत 3 मई 2023, बुधवार के दिन रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, प्रदोष पूजा मुहूर्त शाम 6 बजकर 57 मिनट से रात्रि 9 बजकर 6 मिनट तक रहेगा।

बुध प्रदोष व्रत 2023 शुभ योग

वैशाख माह का अंतिम प्रदोष व्रत 3 मई को रखा जाएगा। इस दिन दो तरह के शुभ योग का निर्माण होने जा रहा है। जिसमें से एक योग सर्वार्थ सिद्धि और दूसरा रवि योग होगा। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5 बजकर 39 मिनट से रात 8 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। रवि योग रात्रि 8 बजकर 56 मिनट से सुबह 5 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार इन दोनों योगों में भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने पर सभी तरह की मनोकामनाएं जल्द पूरी होंगी।

बुध प्रदोष व्रत नियम

प्रदोष व्रत के दिन साधकों को सुबह जल्दी उठना चाहिए। साथ ही स्नान-ध्यान के बाद भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए।

जो लोग व्रत का पालन करेंगे, उन्हें भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। वह केवल फलाहार ग्रहण कर सकते हैं।

इस दिन गुस्सा और बुरे व्यवहार से बचना चाहिए। इसके साथ मन में किसी के लिए भी बुरे विचार न लाएं।

प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन निश्चित रूप से करना चाहिए।

प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा से पहले एक बार पुनः स्नान करना चाहिए और फिर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जानी चाहिए।

धार्मिक महत्व

वास्तु दोष के कारण उत्पन्न परेशानियों को दूर करने के लिए इस बुध प्रदोष पर कुछ वास्तु के सरल उपाय करने से भगवान भोलेनाथ की कृपा आपके ऊपर बनी रहेगी।

वास्तु दोषों से उत्पन्न अकारण भय,परेशानी आदि के निवारण के लिए तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री रुद्राष्टकम का पाठ किया जाना सकारात्मक परिणाम देगा।

घर की नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के लिए इस दिन शिवलिंग पर अभिषेक करने के उपरान्त जलहरी के जल को घर लाकर उससे ‘ॐ नमः शिवाय करालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नमः शिवाय ‘ ये मंत्र जपते हुए पूरे भवन में छिड़काव करना चाहिए।

यदि आपके कार्यों में बहुत अड़चन आती हैं या आपसी कलह,रोग आदि से परेशान हैं तो इन तकलीफों को दूर करने के लिए घर के उत्तर-पूर्व या ब्रह्म स्थान में रुद्राभिषेक करना शुभ परिणाम देगा।

आर्थिक तंगी को दूर करने एवं घर की खुशहाली बनाए रखने के लिए घर की पूर्व या उत्तर-पश्चिम (वायव्य) दिशा में बिल्व का पेड़ लगाएं और उसमें नियमित रूप से जल देते रहें एवं शाम के समय इसके नीचे घी का दीपक जलाएं। बिल्व का वृक्ष स्वयं शिव का ही स्वरुप है अतः ध्यान रहे कि पेड़ के आस-पास किसी प्रकार की गंदगी नहीं रहे एवं यह सूखने न पाए।

 उत्तर-पूर्व दिशा ईश यानि शिवजी की दिशा मानी गई है,सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में वृद्धि एवं परिवार में एकता के लिए यहाँ शिव परिवार की तस्वीर लगाने से शुभ फलों में वृद्धि संभव है।