आज है वैशाख की ‘कालाष्टमी’, इस मुहूर्त में करें भगवान काल भैरव की पूजा, कष्टों से मिलेगी मुक्ति

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ‘कालाष्टमी’ (Kalashtami 2023) व्रत रखा जाता है। इस बार वैशाख महीने की ‘कालाष्टमी’ व्रत आज यानी 13 अप्रैल 2023 को है। इस दिन भगवान शिव का विग्रह रूप माने जाने वाले काल भैरव की पूजा का विशेष महत्व होता है। बाबा काल भैरव को शिव का पांचवा अवतार माना गया है। कालाष्टमी के दिन व्रत रखा जाता है और ‘काशी के कोतवाल’ कहे जाने वाले बाबा काल भैरव की पूजा की जाती है। ‘कालाष्टमी’ के दिन व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा करने से जीवन से दुख, दरिद्रता और परेशानी दूर हो जाती है। आइए जानें ‘वैशाख कालाष्टमी व्रत’ का शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि।

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 13 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 44 मिनट पर प्रारंभ होगी और 14 अप्रैल को सुबह 1 बजकर 34 मिनट पर तिथि का समापन हो जाएगा। उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए काल भैरव भगवान की पूजा 13 अप्रैल 2023, गुरुवार के दिन की जाएगी। इस दिन अमृत काल सुबह 6 बजकर 10 मिनट से सुबह 7 बजकर 41 मिनट तक रहेगा और शिव योग दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि शिव योग की अवधि में देवी-देवताओं की उपासना करने से पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है।

पूजा-विधि

  • वैशाख कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें और सुबह के समय साधारण पूजा करें।
  • कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा रात्रि के समय अत्यंत फलदाई होती है।
  • रात्रि पूजा के समय पूजा स्थल को गंगा जल से सिक्त करें और लकड़ी की चौकी पर भगवान शिव व माता पार्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • इसके बाद गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि से पूजा करें। पूजा के दौरान भगवान काल भैरव का स्मरण करते हुए शिव जी को नारियल, इमरती और पान का भोग लगाएं।
  • पूजा के अंत में भैरव चालीसा का पाठ करें और काल भैरव आरती के साथ पूजा को संपन्न करें।

धार्मिक महत्व

‘कालाष्टमी’ के दिन भगवान भैरव की पूजा करने से सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही बाबा काल भैरव की कृपा से शत्रुओं से छुटकारा मिलता है।