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नई दिल्ली: पुराणों के अनुसार और आप सभी भी यह भलीभांति जानते हैं कि सूर्य देव (Surya Dev) के रथ में हमेशा ही 7 घोड़े जुड़े होते हैं।  लेकिन अब हम आपसे कहें कि कभी सूर्य देव को अपने रथ में मज़बूरी में ही सहीं पर 2 गधे (Donkey) भी जोड़ने पड़े थे।  तो आप शायद न मानें।चलिए आपने ये तो आपने सुन ही रखा होगा कि जब भी सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है तो खरमास शुरू हो जाता है।  

देखा जाए तो हर साल ये स्थिति दिसंबर और जनवरी महीने के बीच बनती है। इस बार भी खरमास (KharMas) बीते 16 दिसंबर 2023 से 14 जनवरी 2024 तक रहेगा। अब हिंदी व्याकरण में ‘खर’ का अर्थ है गधा। इसी खर मास की एक रोचक कथा भी इन्ही गधों से जुड़ी हुई है।

‘मज़बूरी’ में जोड़े  गधे

अब पुराणों की बात करें तो मार्कंडेय पुराण के अनुसार, सूर्यदेव अपने 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर निरंतर गतिमान रहते हैं। ऐसे ही एक बार सूर्यदेव के घोड़े चलते-चलते काफी थक गए थे, उस समय हेमंत ऋतु चल रही थी। तब ही पास ही में तालाब देखकर सूर्यदेव के घोड़े वहां पानी पीने और सुस्ताने लगे।अब मुश्किल ये थी कि सूर्यदेव नहीं रुक सकते थे, लेकिन घोड़ों के बगैर कैसे चलें। इस विकट परिस्तिथि में सूर्यदेव को तालाब के किनारे 2 गधे भी पानी पीते दिखाई दिए।बस फिर क्या था सूर्यदेव ने इन्ही गधों को अपने रथ में जोड़ा और आगे की यात्रा पर निकल पडे। 

हालाँकि इस तरह सूर्यदेव ने अपनी यात्रा जारी तो रखी।  लेकिन घोड़ों की तुलना में गधों की चाल काफी धीरे थी। किसी प्रकार 1 महीने तक सूर्यदेव ने अपने रथ में गधों को जोत रखा था। आखिरकार एक महीने बाद जब सूर्यदेव उसी तालाब के निकट पहुंचें तो उन्होंने देखा कि उनके घोड़ों की थकान अब गायब हो चुकी थी और वे पानी पीकर पुन: यात्रा के लिए भी तैयार हो चुके थे। सूर्यदेव ने अपने रथ से इन बेचारे गधों को निकाला और फिर से अपने 7 घोड़ों को जोड़कर आगे की यात्रा पूरी गति से आरंभ की। 

खर मास: कब आता है क्या है इसके मायने 

जानकारी दें कि जिस महीने में सूर्यदेव ने अपने रथ में गधों को जोड़ा था, वह महीना खर मास कहलाया था। इसलिए हर साल जब भी सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता तो उसे खर मास कहा जाता है।  इस महीने में कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह आदि नहीं होते हैं।  खर मास का महीना खत्म होने के बाद ही शुभ कार्य दोबारा शुरू हो जाते हैं।  वहीँ ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मांगलिक कार्य शादी विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश आदि काम बृहस्पति की शुभ स्थिति पर ही विचार किया जाता है। लेकिन सूर्य देव जब बृहस्पति की राशि में धनु या मीन में प्रवेश करते हैं तो बृहस्पति का प्रभाव कम माना जाता है। वहीं सूर्य की गति भी धीमी होती है इसी के चलते खरमास में शुभ कार्य पर रोक लग जाती है, क्योंकि इसके परिणाम शुभ नहीं हो पाते। 

Disclaimer: यह कहानी सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ‘नवभारत’ किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से आप जरुर सलाह लें.