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    -सीमा कुमारी

    सनातन धर्म में ‘मासिक शिवरात्रि’ (Masik Shivratri) का विशेष महत्व है। इस वर्ष अगहन महीने में ‘मासिक शिवरात्रि’ का व्रत आज यानी 22 नवंबर, मंगलवार को रखा जा रहा है। सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार, देवों के देव भगवान शिव को सृष्टि का पालनहार कहा गया है।

    मान्यता है कि ‘मासिक शिवरात्रि’ के दिन इनकी विशेष पूजा करने से भोलेनाथ अपने भक्तों से अत्यंत प्रसन्न होते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के चतुर्दशी तिथि के दिन ‘मासिक शिवरात्रि’ व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन शंकर-पार्वती की उपासना करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है। वहीं, कुंवारी कन्याएं ये व्रत सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए करती है। शास्त्रों में मार्गशीर्ष माह में शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है। आइए जानें ‘अगहन मासिक शिवरात्रि’ की तिथि , मुहूर्त और महत्व-

    तिथि

    मार्गशीर्ष माह में शिव को प्रसन्न करने के लिए ‘मासिक शिवरात्रि’ (Masik Shivratri) का व्रत 22 नवंबर 2022 को रखा जाएगा। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने पर असंभव कार्य भी संभव हो जाते है। यही वजह है कि भक्त इस दिन प्रदोष काल में विशेष रूप से शिवजी की उपासना करते हैं।

    मुहूर्त

    हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 22 नवंबर 2022 को सुबह 8 बजकर 49 मिनट से लग रही है। चतुर्दशी तिथि का समापन 23 नवंबर 2022 को सुबह 6 बजकर 53 मिनट पर होगा।  

    शिवजी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त- रात 11 बजकर 47 – सुबह 12 बजकर 40 मिनट तक

    शुभ योग

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस बार मार्गशीर्ष माह की मासिक शिवरात्रि के दिन शोभन और सौभाग्य योग का संयोग बन रहा है जो इस दिन को खास बना रहा है। इस योग में पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। मान्यता है कि, कुंवारे लोग इस दिन का व्रत रखें तो उन्हें इच्छानुसार जीवनसाथी मिलता है और शादीशुदा लोगों के जीवन की समस्याएं दूर होती हैं।

    सौभाग्य योग- 21 नवंबर 2022, रात 09 बजकर 07 – 22 नवंबर 2022, शाम 06 बजकर 38

    शोभन योग- 22 नंवबर 2022, शाम 06 बजकर 38 – 23 नवंबर 2022 दोपहर 03 बजकर 40

    धार्मिक महत्व

    अनादि काल से ही मार्गशीर्ष महीने को बहुत महत्वपूर्ण माना गया हैं। वेदों के अनुसार, इसके नाम स्वरूप ये माह सभी महीनों में शीर्ष पर होने के कारण सबसे ज्यादा खास है। सतयुग में इसी महीने से नए साल की शुरुआत होती थी। इसे अगहन भी कहते हैं, ‘अगहन’ यानी आगे रहने वाला अर्थात साल का पहला महीना माना जाता था। ‘शिव पुराण’ के ‘पार्वती खण्ड’ के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने में ही भगवान शिव-पार्वती का विवाह होना तय हुआ था। मान्यता है कि जो माह में मासिक शिवरात्रि के दिन शिव-शक्ति की उपासना करता है, उसका जीवन खुशियों से भर जाता है।