नवरात्रि के पहले दिन करें ‘मां शैलपुत्री’ का पूजन, जानें पूजन- विधि और देवी मंत्र

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    -सीमा कुमारी

    ‘नवरात्रि’ (Navratri) का महापर्व 07 अक्टूबर यानी बुधवार से शुरू हो चुका है। नवरात्रि के पावन दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा -अर्चना की जाती है। नवरात्रि का शुभारंभ घटस्थापना के साथ होता है। इसी दिन अखंड ज्योत भी जलाया जाता है तथा माता ‘शैलपुत्री’ की पूजा की जाती है। नवरात्र का पहला दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप ‘मां शैलपुत्री’ (Maa Shailputri) को समर्पित है।

    पौराणिक कथाओं के अनुसार, ‘माता शैलपुत्री’ का जन्म पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में हुआ था,  इसलिए उन्हें ‘शैलपुत्री’ कहा जाता है। शैलपुत्री माता पार्वती तथा उमा के नाम से भी जानी जाती हैं। माता शैलपुत्री बेहद शुभ मानी जाती हैं, जिनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल मौजूद रहता है। माता शैलपुत्री वृषभ पर विराजमान रहती हैं। संपूर्ण हिमालय पर्वत माता शैलपुत्री को समर्पित है। कहा जाता है कि माता शैलपुत्री अत्यंत सौम्य स्वभाव की हैं और अपने भक्तों को वरदान देती हैं।आइए जानें माता शैलपुत्री की पूजा विधि और महिमा –

    पूजा विधि –

    नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और उसका पूजन किया जाता है। इसके बाद मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। माता शैलपुत्री देवी पार्वती का ही एक रूप हैं जो नंदी पर सवार, श्वेत वस्त्र धारण करती हैं। उनके एक हाथ में त्रिशुल और एक हाथ में कमल विराजमान है। मां शैलपुत्री को धूप,दीप,फल,फूल, माला, रोली,अक्षत चढ़ा कर पूजन करें। मां शैलपुत्री को सफेद रंग प्रिय है। इसलिए उनको पूजन में सफेद फूल और मिठाई अर्पित करना चाहिए। इसके बाद मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप कर, पूजन का अंत मां शैलपुत्री की आरती गा कर करना चाहिए।

    मां शैलपुत्री के पूजन के मंत्र-

    मां शैलपुत्री के पूजन में इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के धैर्य और इच्छाशक्ति में वृद्धि होती है। मां शैलपुत्री अपने मस्तक पर अर्द्ध चंद्र धारण करती हैं, इसलिए इनके पूजन और मंत्र जाप से चंद्रमा संबंधित दोष भी समाप्त हो जाते हैं। श्रद्धा भाव से पूजन करने वाले को मां शैलपुत्री सुख और सौभाग्य प्रदान करती हैं।