Siddhivinayak Temple
Siddhivinayak Temple

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    भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को आता है। भगवान गणेश का हिंदू धर्म का बहुत महत्व होता है। हिंदू धर्म में श्री भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) में गणेश भगवान की 10 दिनों तक पुरे देश में पूजा-अर्चना की जाती है। धर्मशास्त्र के अनुसार गणपति ने 64 अवतार लिए, लेकिन 12 अवतार प्रख्यात माने जाते हैं जिसकी पूजा की जाती है। इसमें अष्टविनायक भी प्रसिद्ध है। गणेश भगवान के अष्टविनायकों मंदिर में से एक मंदिर सिद्धिविनायक मंदिर (Siddhivinayak Temple) भी है। जिसकी बहुत मान्यता है।

    यह सिद्धिविनायक मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर में स्थित है। इस मंदिर में दर्शन करने भक्त बड़ी दूर-दूर से आते है। प्राचीन मान्यतों के अनुसार, इस मंदिर में साक्षात गणेश भगवान के दर्शन होते हैं। इस मंदिर में गणेश जी की मूर्ति विराजमान है जिसकी सूंड दाईं ओर है। बाकी गणेश मंदिरों में सूंड बाईं ओर होती है। इस मंदिर के पास से ही भीमा नदी बहती है, जो बहुत खूबसूरत है।

    मान्यताओं के अनुसार, सिद्धिविनायक मंदिर में मन्नत मांगने से भगवान गणेश भक्तों की सभी मुरादें जल्द ही पूरी हो जाती है। प्राचीन कथाओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण भगवान विष्णु ने स्वयं अपने हाथों से किया है। भगवान विष्णु को एक  राक्षस का वध करना था। वह  राक्षस का वध  नहीं कर पाए। इसलिए उन्होंने भगवान शिव से कहा कि गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। जिसे वह अवश्य सफल होंगे। जिसे बाद वह सफल हो गए। इसलिए सिद्धिविनायक मंदिर की बहुत मान्यता है।

    ऊंचाई पर स्तिथ है सिद्धिविनायक मंदिर   

    सिद्धिविनायक मंदिर एक पहाड़ की चोटी पर बना हुआ है। जिसका मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर है। मंदिर की परिक्रमा के लिए पहाड़ी की यात्रा करनी होती है। यहां गणेशजी की मूर्ति 3 फीट ऊंची और ढाई फीट चौड़ी है। मूर्ति का मुख उत्तर दिशा की ओर है। यह सबसे पुराने मंदिरों में से एक है, जो करीब 200 साल पुराना है। 

    सिद्धिविनायक मंदिर का स्थान

    सिद्धिविनायक मंदिर की बहुत मान्यता है यह भगवान गणेश को समर्पित है। यह मंदिर हिंदू मंदिर में प्रसिद्ध है। अष्टविनायकों मंदिर में से एक मंदिर सिद्धिविनायक मंदिर भी प्रसिद्ध है। यह मंदिर अहमदनगर जिले के करजत क्षेत्र के सिद्धटेक में भीमा नदी के उत्तरी तट पर स्थित है। अष्टविनायक मंदिर में सिद्धिविनायक मंदिर का दूसरा स्थान है। पहले स्थान पर मयूरेश्वर मंदिर है।

    सूंड से जाने जाते है सिद्धिविनायक मंदिर

    इस मंदिर में विराजमान गणेश जी की प्रतिमा में उनकी सूंड़ सीधे हाथ ओर मुड़ी हुई है। बाकी गणेश मंदिरों में सूंड बाईं ओर होती है। कथाओं के अनुसार माना जाता है कि सीधे हाथ पर सूड़ वाले गणपति अत्यंत शक्तिशाली होते हैं। लेकिन सीधे हाथ पर सूंड वाले भगवान गणेश को प्रसन्न करना बहुत कठिन होता है। अहमदनगर में सिद्धिविनायक एक ऐसा मंदिर है। जहां गणेश जी की प्रतिमा सीधे हाथ में सूंड है। परंपरागत रूप से ऐसी प्रतिमा वाले गणेश जी को “सिद्धि-विनायक” नाम दिया जाता है। सिद्धि का अर्थ होता है सुख-समृद्धि, उपलब्धि, सफलता है। 

    भगवान विष्णु ने दैत्यों का वध करने के लिए गणेश जी को किया प्रसन्न 

    प्राचीन कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के कान के मैल से पैदा हुए। दो दैत्य मधु और कैटभ का वध करना था। लेकिन वह असफल रहे, तभी वः भगवान शिव के पास गए। तभी उन्होंने कहा कि  वे प्रथम पूज्य गणेश जी आव्हान करना भूल गये हैं, इसलिए वे असुरों को पराजित नहीं कर पा रहे है। इसके बाद भगवान विष्णु सिद्धटेक में तपस्या करने लगे और “ॐ श्री गणेशाय नमः” मंत्र का जाप कर उन्होंने गणपति को प्रसन्न किया और दोनों दैत्यों का वध कर दिया।