सीमा कुमारी
नई दिल्ली: ‘बैसाखी’ (Baisakhi 2023) का पर्व इस साल 14 अप्रैल, शुक्रवार को देशभर में मनाया जाएगा। सिख परंपरा के अनुसार, बैसाखी के दिन से ही उनका नववर्ष प्रारंभ होता है। आइए जानें बैसाखी पर्व के धार्मिक,आध्यात्मिक एवं सामाजिक महत्व के बारे में-
सिख धर्म गुरु के अनुसार, सिख धर्म की तरह हिंदू धर्म में भी बैसाखी पर्व का बहुत महत्व है। हिंदू मान्यता के अनुसार, बैसाखी के दिन पवित्र नदियों या फिर सरोवर आदि में स्नान का बहुत ज्यादा पुण्य फल बताया गया है।
ज्योतिष-शास्त्र के मुताबिक, बैसाखी के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को गेहूं दान करने पर कुंडली से जुड़ा सूर्य-दोष दूर होता है। सिख मान्यता के अनुसार, बैसाखी पर्व वाले दिन ही उनके दसवें गुरु माने गए गुरु गोविन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
बैसाखी का महापर्व मुख्य रूप से किसानों का पर्व है जो इस दिन अपनी अच्छी फसल के लिए प्रकृति और परमात्मा की पूजा और नाच-गाकर अपना आभार प्रकट करता है।
बैसाखी का पावन पर्व हर साल वैशाख मास में तब मनाया जाता है, जब सूर्य मेष राशि में गोचर करता है। यही कारण है कि इस पावन पर्व को मेष संक्रांति का पर्व भी कहते हैं।
ज्योतिष के अनुसार, तमाम हिंदी महीनों के नाम नक्षत्रों के नाम पर रखे गये है। वैशाख मास का नाम भी विशाखा नाम के नक्षत्र पर रखा गया है। मान्यता है कि बैसाखी के दिन विशाखा नक्षत्र आकाश में होता है।