घर की नींव में कलश और चांदी के बने सर्प रखने के संबंध हैं पौराणिक, जानिए इसका महत्व और सही दिशा

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सीमा कुमारी

नवभारत डिजिटल टीम: सनातन धर्म में किसी भी घर-मकान या अन्य भवन का निर्माण कार्य करने से पहले वास्तु शास्त्र का बड़ा महत्व होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि वास्तु शास्त्र में भवन निर्माण को लेकर खास नियम बताए गए हैं। भवन निर्माण से पहले नींव में चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा और कलश को अवश्य डाला जाता है। हालांकि, कई लोगों का इसका मुख्य उद्देश्य मालूम ही नहीं होता। ज्यादातर लोग एक-दूसरे को ऐसा करते हुए देखकर ही अपने भवन की नींव में नाग-नागिन का जोड़ा और कलश दबा देते हैं। लेकिन, अनजाने में किया जाने वाला ये धार्मिक कर्म काफी शुभ और लाभदायक होता है। ऐसे में आइए जानें नींव में दबाए जाने वाले चांदी के नाग और कलश का मुख्य उद्देश्य-

 वास्तु शास्त्र के अनुसार, मकान बनाते समय नींव में नाग-नागिन का जोड़ा और कलश डालने की परंपरा बहुत पुरानी है। इसके पीछे खास धार्मिक मान्यता है। कहा जाता है कि पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी हुई है। मकान की नींव में सोने-चांदी या पीतल से बना नाग-नागिन का जोड़ा इसलिए डाला जाता है क्योंकि जिस प्रकार नाग देवता मजबूती के साथ धरती को धारण किए हुए हैं, उसी तरह मकान मजबूती के साथ खड़ा रहे। साथ ही बुरी शक्तियों से रक्षा हो सके। इसका उल्लेख भागवत पुराण में भी मिलता है।

ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के मुताबिक, भूमि पूजन हमेशा पूरब-उत्तर दिशा (ईशान कोण) में किया जाना चाहिए। दरअसल यह दिशा भूमि पूजन के लिए उचित और सबसे अच्छी मानी गई है। भूमि पूजन करने वाले का मुंह पूरब की ओर होना चाहिए। जबकि जो पूजा कराए (पंडित) उसका मुंह उत्तर की ओर होना चाहिए।  

सामान्य तौर पर नींव के लिए 5 फीट का गड्ढा खोदना उचित है। इस बात को ध्यान में रखकर ही भूमि पूजन के लिए नींव खोदना चाहिए।

ज्योतिषियों की मानें तो, भूमि पूजन में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान है। इनकी पूजा से किस प्रकार की कोई बाधा नहीं आती। साथ ही कलश की पूजा भी की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कलश को ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है। कलश में आम का पल्लव (पांच पत्ते वाले), सिक्के, सुपारी रखे जाते हैं।