श्रीमद्भागवत गीता रखने के नियम जान लें, इन बातों का रखें ध्यान, वरना उठाना पड़ सकता है नुकसान

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सीमा कुमारी

नवभारत डिजिटल टीम: भगवद गीता हिंदू धर्म के मुख्य धार्मिक ग्रंथों में से एक है। हिंदू धर्म में श्रीमद्भागवत गीता (Shrimad Bhagwat Geeta) का विशेष महत्व है। और यह इकलौता ऐसा ग्रंथ है, जिसकी जयंती हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी मोक्षदा एकादशी के दिन मनाई जाती है।

शास्त्रों के अनुसार, इस ग्रंथ को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वहीं, हर दिन गीता का पाठ करने से परिवार में एकता, सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। आपको बता दें कि गीता में धर्म, कर्म, नीति, सुख और सफलता सभी का रहस्य छिपा हुआ है। कहते हैं कि, श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करने से जीवन के सभी सवालों के जवाब मिल जाते हैं। इतना ही नहीं, जिस घर में नियम-निष्ठा के साथ गीता का पाठ किया जाता है वहां मां लक्ष्मी और भगवान कृष्ण का वास रहता है। साथ ही गीता जयंती के दिन गीता का पाठ और हवन करने से घर से हर तरह के वास्तु दोष दूर हो जाते हैं।

घर में श्रीमद्भागवत गीता रखने के नियम

घर में श्रीमद्भागवत गीता को रखने और पाठ करते वक्त कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए, तभी पूर्ण फल मिलता है। ये बहुत पवित्र ग्रंथ है इसलिए इसे साफ-पवित्र स्थान पर ही रखें।

बिना नहाए, गंदे हाथों, या मासिक धर्म में गीता को स्पर्श न करें। इससे व्यक्ति पाप का भागी बनता है और मानसिक-आर्थिक तनाव होने लगते हैं।

श्रीमद्भागवत गीता को जमीन पर रखकर न पढ़ें। इसके लिए पूजा चौकी या फिर काठ (लकड़ी से बना स्टेंड) का इस्तेमाल करें। साथ ही गीता को एक लाल कपड़े में बाधकर रखें।

गीता पाठ करने के लिए अपने ही आसन का उपयोग करें। दूसरों का आसन नहीं लेना चाहिए इससे पूजा-पाठ का प्रभाव कम हो जाता है, पाठ शुरू करने से पहले भगवान गणेश और श्री कृष्ण का स्मरण करें।

दिन में किसी भी वक्त गीता का पाठ कर सकते हैं। लेकिन, अगर कोई अध्याय शुरू किया है तो उसे बीच में न छोड़े। पूरा अध्याय पढ़ने के बाद ही उठें।