शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के नियम जानिए, ‘ऐसी’ गलतियां बिल्कुल न करें

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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: 18 फरवरी, शनिवार को ‘महाशिवरात्रि’ (Mahashivratri) का पावन पर्व है। देवों के देव महादेव की आराधना के लिए ‘महाशिवरात्रि’ का पावन पर्व बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो भी श्रद्धालु सच्ची श्रद्धा और भक्ति से भोलेनाथ की आराधना करता है उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

    महाशिवरात्रि के दिन शिव जी की पूजा का सबसे महत्वपूर्ण भाग है ‘बेलपत्र’।. बेलपत्र के बिना शिव जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बेलपत्र को चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनका मस्तक शीतल रहता  है। शिवपुराण में बेलपत्र के महत्व को बताते हुए वर्णन है कि जो भी व्यक्ति सावन माह में भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करता है, उसे 1 करोड़ कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है। आइए जानें शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का नियम, बेलपत्र तोड़ने का नियम और इससे होने वाले लाभ-

    ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, शिवलिंग पर चढ़ने वाले बेलपत्र को हमेशा उल्टा करके अर्पित किया जाना चाहिए। यानी की जिस तरफ बेलपत्र की चिकनी सतह हो उस भाग को शिवलिंग पर चढ़ाएं। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि बेलपत्र को अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से अर्पित करें।

    पेड़ से बेलपत्र तोड़ते समय भी कुछ बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए। ध्यान रखें कि कभी भी बेलपत्र के पेड़ की पूरी टहनी एक साथ न तोड़ें। बल्कि, एक-एक करके ही बेलपत्र तोड़ें। इसके अलावा बेलपत्र तोड़ने से पहले और बाद में मन में ही प्रणाम कर लें।

    यदि पूजा के समय आपके पास बेलपत्र नहीं है, तो वहां पर चढ़ाए गए बेलपत्र को साफ पानी से धोकर दोबारा शिवजी को चढ़ा सकते हैं। बेलपत्र कभी बासी या जूठा नहीं होता है।

    देवों के देव महादेव जी को हमेशा तीन पत्तियों वाला बेलपत्र ही अर्पित करते हैं। उसमें कोई दाग या धब्बा न हो। यदि संभव हो तो बेलपत्र अर्पित करने से पहले उन्हें धुल लें और चंदन से उस पर राम या, ॐ नम: शिवाय लिखें। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। दूर होती है और धन-धान्य की वृद्धि होती हैं। मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए बेलपत्र पर चंदन से राम या फिर, ॐ नम: शिवाय लिखकर अर्पित करना चाहिए।