बुद्ध पूर्णिमा’ के दिन ‘इस’ वस्तु के दान से जाने-अनजाने हुए पापों से मिल सकती है मुक्ति, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: सनातन धर्म में ‘पूर्णिमा'(Purnima) तिथि का बड़ा महत्व है। इस साल बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima 2023) 5 मई शुक्रवार को पड़ रही है। वैसाख मास की पूर्णिमा को ही बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है बता दें कि साल का पहला चंद्र ग्रहण भी इसी दिन लग रहा है। जानकारों के अनुसार, चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन ही लगता है। ग्रहण एक भौगोलिक घटना है। जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है और सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक नहीं पहुच पाता है तो इस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहा जाता है।

बुद्ध पूर्णिमा दुनिया भर में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह शुभ दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान और मृत्यु का प्रतीक है, और बौद्ध संप्रदायों द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि गौतम बुद्ध के जीवन की तीनों महत्वपूर्ण घटनाएं – उनका जन्म, ज्ञान और मोक्ष – वर्ष के एक ही दिन आते हैं।

इस घटना के कारण, बौद्ध धर्म में इस दिन का अत्यधिक महत्व है। साल 2023 में बुद्ध पूर्णिमा 5 मई (शुक्रवार) को मनाई जाएगी। ये बुद्ध पूर्णिमा बेहद खास होगी क्योंकि इस बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लग रहा है। साथ ही ग्रह-नक्षत्रों का भी अजब संयोग बन रहा है। आइए जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त।

शुभ मुहूर्त  

वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 4 मई, दिन गुरुवार को रात 11 बजकर 44 मिनट से हो रहा है। बुद्ध पूर्णिमा समापन 5 मई, दिन शुक्रवार को रात 11 बजकर 03 मिनट पर होगा।

 ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, इस साल 5 मई 2023 को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी और इसी दिन व्रत रखा जाएगा।

पूजा विधि  

सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।

इसके बाद साफ कपड़े पहनकर भगवान विष्णु का जल चढ़ाएं।

इसके बाद घी का दीपक जलाएं। फिर भगवान को प्रसाद चढ़ाएं और आरती करें।

अगर प्रसाद में तुलसी का इस्तेमाल करते हैं तो बेहतर होगा।

इस दिन सात्विक खाना ही खाएं।

धार्मिक महत्व

सनातन धर्म में ‘बुद्ध पूर्णिमा’ का बड़ा महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। इससे व्यक्ति को जीवन में तरक्की मिलती है और वह खूब आगे बढ़ता है। इस दिन अगर आप किसी कारणवश नदी में स्नान न कर पाएं तो पानी में थोड़ा-सा गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए। साथ ही इस दिन यथा शक्ति कुछ न कुछ दान भी जरूर करना चाहिए। इसके अलावा अगर आपसे अनजाने में कोई पाप हो गया है तो इस दिन चीनी और तिल का दान देने से इस पाप से छुटकारा मिल जाता है।