halo of Moon in Nagpur

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    नागपुर. यहां के लोगों के लिए रविवार की रात शानदार रही। लोगों ने देर रात चांद (Moon) के पास बना एक रहस्यमयी घेरा (Mysterious Circle) देखा, जो दिखने वाकई बहुत खूबसूरत था। यह घेरा लोगों के लिए आकर्षण बना रहा। ऐसा घेरा यहां के लोगों ने पहले कभी नहीं देखा था, जिससे लोगों में इस बात की चर्चा बनी रही कि आखिर चांद के पास यह घेरा कैसा? आज कोई विशेष दिन तो नहीं? हम आपको इसी घेरे के बारे में बताने जा रहे हैं कि आखिर चांद के पास घेरा क्यों आया और उसे क्या कहते है।

    क्या कहते है घेरे को?

    रविवार देर रात देखे गए चांद के पास घेरा बना हुआ घेरा ऐसा लग रहा था जैसे बादल और धुंध की पतली लकीर चांद के चारों ओर बन गई थी। जिससे चांद के साथ ही वह भी घूमता प्रतीत हो रहा था। खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार अक्सर ऐसा सितंबर-अक्टूबर और फरवरी-मार्च के महीने में देखा जाता है। इस समय चांद के चारों तरफ गोल घेरा बन जाता है, जिसे ‘हैलो ऑफ मून’ (Halo of Moon) कहते हैं। यह  एक घंटे से लेकर 7-8 दिनों तक दिखाई पड सकता। इतना ही नहीं हैलो ऑफ मून इंद्रधनुष की तुलना में कई बार यानी एक साल में 100 दिन दिख सकता है।

    कैसे बनता है घेरा?

    दरअसल आकाश में बादलों में आइस क्रिस्टल होते हैं जो कई बार चांद की रोशनी से टकराते हैं। इससे रोशनी प्रतिबिम्बित होती है और इस तरह का घेरा बनता हुआ दिखता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह एक सामान्य खगोलीय परिघटना है। इसे कुछ लोग मून रिंग (Moon Ring), विंटर हैलो (Winter Halo) के अलावा निम्बस (Nimbus) या आइसबो (Icebo) भी कहते हैं। कई बार यह सूर्य के भी चारों तरफ घेरा बनता है और ऐसी स्थिति में इसे सोलर हैलो कहते हैं।

    कैमरों में कैद चांद की अद्भुत तस्वीरें

    चांद के इस अद्भुत और खूबसूरत नज़ारे को कई लोगों ने अपने कैमरों में कैद कर लिया है। वहीं कई लोगों ने इसे इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भी शेयर किया।