मुंबई. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने सोमवार को कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के नेतृत्व वाली सरकार में बतौर कृषि मंत्री शरद पवार ने कई ‘अनिच्छुक’ राज्यों से अटल बिहारी वाजपेयी नीत सरकार के एपीएमसी कानून को लागू करने के लिए समझाया था। सरकार के सूत्रों ने केंद्रीय मंत्री के तौर पर पवार द्वारा इस संबंध में कई मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र का अंश साझा किया।
इसके बाद राकांपा के प्रवक्ता महेश तपासे ने इस बारे में जानकारी दी। तपासे ने कहा, ‘‘मॉडल कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम, 2003 को वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने शुरू किया था। उस वक्त कई राज्य सरकारें इसे लागू नहीं करना चाहती थीं।” तपासे ने एक बयान में कहा, ‘‘केंद्रीय कृषि मंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद पवार ने राज्यों के कृषि विपणन बोर्डों के साथ व्यापक सहमति बनाने की कोशिश की और कानून को लागू करने के लिए उनसे सुझाव मांगे।” तपासे ने कहा, ‘‘एपीएमसी काननू के प्रारूप के अनुसार किसानों को होने वाले फायदे के बारे में उन्होंने (पवार) कई राज्य सरकारों को अवगत कराया, जिसे लागू करने पर वे सहमत हुए।
कानून के लागू होने से देशभर के किसानों को लाभ हो रहा है। किसानों के हितों की रक्षा के लिए पवार ने इस कानून में कुछ बदलाव किया था।” तपासे ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लाए गए नये कृषि कानून ने संदेह पैदा किया है और इसने न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसे मुद्दों के संबंध में किसानों के मन में असुरक्षा का भाव पैदा किया है। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार इस नये कृषि कानून में अन्य कई मुद्दों का समाधान करने में नाकाम रही है, जिसके कारण इतने बड़े पैमाने पर देश भर के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
केंद्र सरकार व्यापक सहमति नहीं बना सकी और किसानों तथा विपक्ष की जायज आशंकाओं को दूर करने में नाकाम रही।” किसानों के विरोध प्रदर्शनों को पवार द्वारा समर्थन किए जाने के बाद सरकार के सूत्रों ने रविवार को कहा था कि संप्रग के नेतृत्व वाली सरकार में कृषि मंत्री रहते हुए पवार ने मुख्यमंत्रियों को अपने-अपने राज्यों में एपीएमसी कानून लागू करने के लिए कहा था ताकि इस क्षेत्र में निजी सेक्टर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। किसानों के मौजूदा प्रदर्शन को लेकर पवार नौ दिसंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करने वाले हैं।
किसानों के संगठनों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है जिसका विपक्षी दलों के साथ राकांपा ने समर्थन किया है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि 2010 में पवार ने दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को लिखे पत्र में कहा था कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास, रोजगार और आर्थिक समृद्धि के लिए कृषि क्षेत्र को बेहतर बाजार की जरूरत है। मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे इसी तरह के एक पत्र में पवार ने फसल के बाद होने वाले निवेश और फसल को खेतों से उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए विपणन को लेकर बुनियादी ढांचे की जरूरत पर जोर दिया था।