हेपेटाइटिस और गैस्ट्रो के मामले में 86% और 68% गिरावट

  • पेट के लिए अच्छा रहा लॉकडाउन

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मुंबई. इस वर्ष लॉकडाउन के कारण मुंबईकरों को आर्थिक परेशानी तो काफी हुई, लेकिन स्वास्थ्य के मामले सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं.

दूषित खानपान के सेवन से होने वाली बीमारी हेपेटाइटिस और गैस्ट्रो के मामलों में इस साल 86 प्रतिशत और 67 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. इससे कोरोना से जूझ रहे बीएमसी कर्मियों को काफी राहत मिली है. मुंबई में हर वर्ष सैंकड़ों की संख्या में लोग पेट से संबंधित बीमारी गैस्ट्रो, हेपेटाइटिस ए और ई से ग्रसित होते हैं.

बाहर के खानपान पूरी तरह बंद होने से आई कमी 

मनपा स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त आंकड़ों पर नजर डाले तो वर्ष 2019 में जनवरी से नवंबर तक हेपेटाइटिस ए और ई से कुल 1494 लोग ग्रसित हुए थे. जबकि इस वर्ष केवल 245 लोग ही उक्त बीमारी की जद में आए हैं. गैस्ट्रो की बात करें तो जहां 2019 में 11 महीनों में 7247 लोग उक्त बीमारी से ग्रसित हुए थे. वहीं इस वर्ष 2316 लोग बीमारी की जद में आए हैं. मनपा की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मंगला गोमरे ने बताया कि मुंबईकर बाहर के खानपान का सेवन अधिक करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी आई और लॉकडाउन की घोषणा हुई. बाहर के खानपान पूरी तरह बंद था खासकर अप्रैल से अगस्त तक तो सड़क किनारे लगने वाले ठेले पूरी तरह बंद थे. ऐसे में हेपेटाइटिस और गैस्ट्रो दोनों ही बीमारियों का ग्राफ गिर गया.

नींबू शर्बत, गोला व कटे हुए फल फैलाते हैं बीमारी 

उक्त बीमारी का सबसे प्रमुख कारण है दूषित खाने और पानी का सेवन. मुंबई जैसे शहर में अधिकतर लोग बाहर के खानपान पर जोर देते हैं. खासकर लोग सड़क किनारे बिकने वाले वडापाव, चाइनीज भेल, पकोड़े, सैंडविच, पानी पूरी आदि चटपटे फ़ास्ट फ़ूड का चाव से सेवन करते हैं. इसी के साथ लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए सड़क किनारे नींबू शर्बत, गोला व कटे हुए फल का भी खूब आनंद लेते है. सड़क किनारे लगे ठेलों में अक्सर साफ-सफाई की कमी देखने को मिलती है. 

अब भी डर कायम

लॉकडाउन में नरमी के बाद मुंबई के सड़कों पर एक बार फिर खानपान के ठेले लगने शुरू हो गए हैं, लेकिन मुंबईकरों में डर कायम है. कोरोना वायरस के डर से अभी भी कई मुंबई बाहर के खानपान से परहेज कर रहे हैं. लोग स्वास्थ्य के प्रति सचेत हो गए हैं और पौष्टिक आहार पर जोर दे रहे है जो उन्हें बीमारी से बचा सके. पर अधिकारियों का कहना है कि अगर लोगों ने सावधानी नहीं बरती तो केसेस बढ़ सकते हैं. 

मुंबईकर बाहर के खानपान का सेवन अधिक करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी आई और लॉकडाउन की घोषणा हुई. बाहर के खानपान पूरी तरह बंद था खासकर अप्रैल से अगस्त तक तो सड़क किनारे लगने वाले ठेले पूरी तरह बंद थे. ऐसे में हेपेटाइटिस और गैस्ट्रो दोनों ही बीमारियों का ग्राफ गिर गया.

-डॉ. मंगला गोमरे, कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी, बीएमसी