कोरोना काल में सावन का पहला सोमवार, बंद रहे शिवालय

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  • नहीं गूंजी बाबा की जयकार
  • आस्था पर भारी पड़ी सोशल डिस्टेंसिंग की मार
  • भक्तों ने घर पर ही किया भोले का जलाभिषेक  
  • लॉकडाउन में मंदिरों के बाहर जमी रही पुलिस  

मुंबई. भगवान भोलेनाथ के प्रिय श्रावण मास का पहला सोमवार कोरोना काल की भेंट चढ़ गया. मुंबई के सभी शिवालयों में ‘हर हर महादेव’, ‘बम बम भोले’ की जयकार इस साल नहीं गूंजी. सभी मंदिर साढ़े तीन महीने से बंद पड़े हैं. पहले जहां सोमवार में इन मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ता था वहां पुलिस की नाकाबंदी की गई थी. भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए लोगों ने घर पर ही शिवार्चना की. जिनके घर के मंदिर में शिवलिंग स्थापित हैं उन्होंने पंचामृत आदि से बाबा का अभिषेक किया, लेकिन अधिकतर लोगों ने ॐ नमः शिवाय का जप या शिव चालीस का पाठ कर आशुतोष से प्रार्थना की. दक्षिण मुंबई के गिरगांव स्थित बाबुलनाथ मंदिर में सन्नाटा पसरा रहा. पुजारियों ने ही नियमित पूजा के साथ बाबा का अभिषेक किया.

मंदिर प्रशाशन ने शासन के आदेश का पालन करते हुए पहले की तरह बंदी जारी रखी. श्रद्धालुओं ने अनेक मंदिरों में फोन कर मंदिर व्यवस्था की जानकारी पहले ही प्राप्त कर ली थी इसलिए सभी ने सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए घर पर ही पूजा करना उचित समझा.

पुलिस प्रशासन भी चाक चौबंद रहा

इसको देखते हुए पुलिस प्रशासन भी चाक चौबंद रहा. सोमवार को देखते हुए मंदिरों और शिवालयों के बाहर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिए थे. शिव की भक्ति करने वाले शैव संप्रदाय में श्रावण और उसके सोमवार को लेकर अलग उत्साह रहता है लोग भस्म, शहद, गन्ना रस, दूध, दही, अष्टगन्ध चंदन, गंगाजल आदि से बाबा का पूजन व अभिषेक करते हैं. लेकिन इस वर्ष उन्हें निराशा हुई है. बड़ी संख्या में तो लोग मंदिर परिसर में मंत्र जाप कर अनुष्ठान करते थे ताकि महादेव की असीम कृपा बनी रहे, लेकिन कोरोना ने तुषारापात कर दिया.

बाबुलनाथ मंदिर 

श्री बाबुलनाथ मंदिर चैरिटीज द्वारा संचालित दक्षिण मुंबई का प्रसिद्ध एवं प्राचीन शिव मंदिर इकलौता ऐसा मंदिर है जहां 45 दिन का श्रावण मास आयोजित किया जाता है. यहां सावन के पहले सोमवार को जलाभिषेक करने वालों की भारी भीड़ जुटती थी. इसके निमित्त यहां घी की महापूजा भी आयोजित की जाती थी, लेकिन इस कोरोना काल में सब बंद है. स्थानीय गांवदेवी पुलिस ने कोरोना को ध्यान में रखते हुए प्रबन्ध किये थे.

जंगलेश्वर महादेव मंदिर 

घाटकोपर पश्चिम, असल्फा के खैरानी रोड स्थित जंगलेश्वर महादेव मंदिर में श्रावण मास के पहले सोमवार को हिंदी भाषी शिव भक्तों की प्रचंड भीड़ जुटती थी और जलाभिषेक कर भोलेनाथ की पूजा करती थी. लेकिन लॉक डाउन में यहां आस्था भी डाउन रही.

चिन्मयानन्द शिवालय पवई 

पवई के पास फ़िल्टर पाडा के करीब स्थित प्राचीन शिव मंदिर में श्रावण मास के पहले सोमवार को सन्नाटा पसरा रहा. यहां भी काफी संख्या में शिव भक्तों की भीड़ विभिन्न पदार्थों से बाबा का जलाभिषेक करती थी. स्वामी चिन्मयानन्द मिशन द्वारा स्थापित एवं संचालित इस शिवालय में भी तालाबंदी रही.

पवई पंच कुटीर का सुवर्णा मंदिर

पवई के पंचकुटीर स्थित सुवर्णा मंदिर में भी सावन मास के पहले सोमवार को शांति बनी रही. जहां सुबह से ही शिव भक्तों की लंबी कतार लगती थी वहां भी सिर्फ पुजारियों ने जलाभिषेक किया. सुवर्णा बाबा के सानिध्य में श्रावण माह में पूजा अभिषेक की विशेष व्यवस्था की जाती थी लेकिन लॉक डाउन के कारण यहां भी सावन पावन नहीं हो पाया.

मढ़ का किलेश्वर महादेव मंदिर 

मालाड पश्चिम के मढ़ गांव स्थित किलेश्वर महादेव मंदिर में पुलिस की कुछ ज्यादा ही सख्ती रही. पुलिस को आशंका थी कि सुदूर में स्थित होने से यहां भक्त आ सकते हैं. मुख्य सड़क से लगभग दो किमी अंदर समुद्र के किनारे स्थित इस प्राचीन शिवालय में श्रावण मास के प्रथम सोमवार को शांति बनी रही. प्राचीन किले के पास स्थित यह शिव मंदिर 300 साल पुराना है. पश्चिमी उपनगर से यहां काफी संख्या शिव भक्त जलाभिषेक व अन्य अनुष्ठान करने आते थे, लेकिन कोरोना ने उनकी आस्था पर पानी फेर दिया.