92  साल का हुआ कल्याण इलेक्ट्रिक लोको शेड

  • हैवी रिपेयर शॉप से पुश एंड पुल तक का सफर

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मुंबई. भारतीय रेलवे के तत्कालीन ग्रेट इंडियन पेनिन्सुला रेलवे  कंपनी के अंतर्गत कल्याण में पहला इलेक्ट्रिक लोको शेड शुरू हुआ.इसकी स्थापना 28 नवंबर 1928 को हुई थी.पिछले 92  वर्षों की अपनी यात्रा के दौरान, शेड ने लगभग 16 विभिन्न प्रकार के लोकोमोटिव का रख रखाव किया हैं. 

मुंबई मंडल दोनों तरफ घाट सेक्शन से घिरा हुआ है, कल्याण के लोकोमोटिव मेल-एक्सप्रेस-माल गाड़ियों को घाट के लिए बैकिंग की अतिरिक्त सेवा प्रदान करते हैं. 1971 में नव निर्मित डब्ल्यूसीजी -2 लोकोमोटिव प्रदान किए गए थे जिसमें डायनेमिक ब्रेकिंग फीचर था.इसी प्रकार एसी कैटेनरी 25 केवी के 1500 वोल्ट के डीसी कैटेनरी के रूपांतरण के साथ, अब 5000 एचपी डब्लूएजी  7 लोको का उपयोग दोनों घाटों में बैंकर लोको के रूप में किया जाता है. डीसी ट्रैक्शन को एसी ट्रैक्शन में बदलने के दौरान, इन इंजनों ने बिना किसी गड़बड़ी के मुंबई मंडल का ट्रैफिक बनाए रखने में प्रमुख भूमिका निभाई है. 

इस समय शेड में 211 इंजन 

पिछले साल इलैक्ट्रिक लोको शेड कल्याण ने राजधानी एक्सप्रेस और एचओजी संचालित ट्रेनों में परिचालन पुशपुल प्रौद्योगिकी में भारतीय रेलवे के तकनीकी उन्नयन में प्रमुख भूमिका निभाई थी. इस समय शेड में 211 इंजन हैं. वर्तमान में शेड में 7 विभिन्न प्रकार के इंजनों का रखरखाव किया जाता है. विभिन्न प्रकार के इंजनों की होल्डिंग 53 नग है.  इलेक्ट्रिक लोको शेड कल्याण की कुल होल्डिंग 223 लोकोमोटिव है.इलेक्ट्रिक लोको शेड कल्याण का  प्रशिक्षण केंद्र प्रत्येक वर्ष लगभग 450 पर्यवेक्षकों, कारीगरों और शेड के ट्रेड अपरेंटिस कर्मचारियों को प्रशिक्षित करता है.इलेक्ट्रिक लोको शेड कल्याण भारतीय रेल का एकमात्र इलेक्ट्रिक लोको शेड है जिसके बेड़े में  एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन  और हाई स्पीड – सेल्फ प्रोपेल्ड एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन शामिल है.

लॉकडाउन में लोकोशेड की प्रमुख भूमिका

मध्य रेलवे की सीपीआरओ शिवाजी सुतार ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान कल्याण लोकोशेड की सकारात्मक भूमिका रही. चूंकि पूरी दुनिया कोविड -19 महामारी से जूझ रही है, देश को पटरी पर बनाए रखने के लिए, इलैक्ट्रिक लोको शेड कल्याण ने  लाक डाउन की अवधि में भी शेड गतिविधियों को बनाए रखने के लिए एक प्रमुख भूमिका निभाई और ऐसे कई मामलों  में रेलवे बोर्ड और यहां तक कि रेल मंत्री पीयूष गोयल ने  इलैक्ट्रिक लोको शेड कल्याण  के कर्मचारियों के समर्पण की सराहना की. 

समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाया जा रहा

महिला कर्मचारियों द्वारा पुनः उपयोग करने योग्य फेस मास्क  तैयार किए गए और कर्मचारियों के बीच वितरित किए गए. सैनिटाइज़र को शेड के उपयोग के लिए बनाया गया था और इसे अस्पताल, आरपीएफ, एसएंडटी, ऑपरेशन विभाग जैसे अन्य विभागों को भी आपूर्ति की गई. मध्य रेलवे के सीपीआरओ शिवाजी सुतार के अनुसार, इलेक्ट्रिक लोको शेड कल्याण की इस समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाया जा रहा है, ताकि यह शेड न केवल मुंबई मंडल, बल्कि पूरे भारतीय रेलवे का गौरव बने.