mahalakshmi temple mumbai

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    मुंबई. देश के सर्वाधिक प्राचीन धर्मस्थलों में से एक मुंबई (Mumbai) के महालक्ष्मी मंदिर (Mahalaxmi Temple) में भी लक्ष्मी की कृपा नहीं हो पा रही है। कोरोना (Corona) रूपी राक्षस ने देवी और भक्तों के बीच दूरी बढ़ा दी है, लेकिन भक्तों को ऐसा विश्वास है कि शीघ्र देवी मां कोरोना का निर्मूलकर भक्तों को दर्शन देंगी। 

    कोरोना के चलते लॉकडाउन में पिछले 1 साल से ज्यादा समय से महालक्ष्मी मंदिर बंद है।  बीच में कुछ महीने अवश्य खुले, लेकिन दूसरी लहर आने के बाद मंदिर को अप्रैल में फिर बंद कर दिया गया।

    अब सिर्फ एक लाख तक का चढ़ावा

    महालक्ष्मी मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधक भालचंद्र वालावलकर ने कहा कि लॉकडाउन से पूर्व जहां मंदिर में दर्शनार्थियों की भीड़ लगी रहती थी और करीब 50 से 55 लाख रुपए के महीने में चढ़ावे आते थे, मंदिर बंद होने से चढ़ावा बंद हो गया। अब ऑनलाइन वेबसाइट के जरिए करीब एक लाख रुपए के चढ़ावे आते हैं। इसमें कभी कम या ज्यादा भी होता है। यानि लॉकडाउन में महालक्ष्मी मंदिर का चढ़ावा 98% घट गया। लॉकडाउन में मंदिर बंद होने से चढ़ावे में बहुत बड़ा फर्क आ गया।

    महीने में 20 लाख का खर्च

    वालावलकर ने बताया कि मंदिर में चढ़ावा घटने के बावजूद हम अपने करीब 50 सदस्यीय स्टाफ को पूरा पेमेंट देते हैं। इसमें 15 पुजारी हैं और तीन देवी मां का भोग बनाने वाले पुजारी हैं। इसके अलावा करीब 32 कर्मचारी हैं। इस समय मंदिर में ज्यादा कार्य न होने के कारण 8 से 10 कर्मचारी और कई पुजारी समय-समय पर 15 दिन के अवकाश पर रहते हैं। उन्हें भी पेमेंट दिया जाता है। वालावलकर ने कहा कि पुजारी, सिक्योरिटी, कर्मचारी सहित पूरे स्टाफ का पेमेंट, देवी मां की आरती के लिए सामग्री और भोग आदि में करीब 20 लाख रुपए महीने के खर्च होते हैं। यह खर्च मंदिर के लिए फिक्स की गई डिपॉजिट के इंटरेस्ट से दी जाती है। उन्होंने कहा कि हर दिन देवी मां का अभिषेक और सुबह-शाम आरती होती है।  वालावलकर ने कहा कि उम्मीद है कि देवी मां की कृपा होगी और मंदिर शीघ्र खुलेगा।

    भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र

    समुद्र के किनारे भूलाभाई देसाई मार्ग पर स्थित यह मंदिर अत्यंत सुंदर, आकर्षक और लाखों लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मां लक्ष्मी को धन की देवी माना गया है। महालक्ष्मी की पूजा घर और कारोबार में सुख और समृद्धि‍ लाने के लिए की जाती है। महालक्ष्मी‍ मंदिर के मुख्य द्वार पर सुंदर नक्काशी की गई है। मंदिर परिसर में विभिन्न देवी-देवताओं की आकर्षक प्रतिमाएं स्थापित हैं।

    3 देवियों की प्रतिमाएं

    मंदिर के गर्भगृह में महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती तीनों देवियों की प्रतिमाएं एक साथ स्थापित हैं। तीनों प्रतिमाओं को सोने एवं मोतियों के आभूषणों से सुसज्जित किया गया है। यहां आने वाले हर भक्त का यह दृढ़ विश्वास होता है कि मां उनकी हर इच्छा जरूर पूरा करती हैं।

    मंदिर का निर्माण

    प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार सदियों पुराने इस महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण एक अंग्रेज हार्नबाय बेल्लार्ड ने 1785 में किया था, लेकिन इसे भव्य और बड़ा स्वरूप धाकजी दादाजी नाम के व्यवसाई ने 1831 में दिया, उन्होंने मंदिर के परिसर का जीर्णोद्धार कराया।