Use of plasma therapy to treat patients with mild symptoms of covid-19: CDSCO

  • मुंबई के डॉक्टरों की मांग

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मुंबई. कोरोना को पराजित कर चुके व्यक्ति के एंटी बॉडी वाला प्लाज्मा अन्य कोरोना ग्रसित की जान बचाने के महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. ऐसे में एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसल्टेंट (एएमसी) ने मुंबई पुलिस को पत्र लिख कोरोना से ठीक हुए पुलिसकर्मियों को प्लाज्मा दान देने के लिए छुट्टी देने की अपील की है. 

कोरोना काल में अपने कर्तव्य का पालन करते-करते मुंबई के हजारों पुलिसकर्मी कोरोना का शिकार हुए, जिसमें से अधिक्तर ठीक हो गए, लेकिन कुछ को दुर्भाग्यवश अपनी जान भी गंवानी पड़ी. एएमसी के अध्यक्ष डॉ. दीपक बैद ने कहा कि प्लाज्मा थेरैपी से काफी हद्द तक कोरोना मरीजों की जान बचाई जा सकती है. कोरोना से ठीक हुए लोगों में वायरस से लड़ने के लिए एंटी बॉडी विकसित हो जाती है. ऐसे में ठीक हुए व्यक्ति का प्लाज्मा दूसरे बीमार मरीज को दिया जाता है. मुंबई के कई पुलिसकर्मी कोरोना को मात देकर ठीक हुए हैं.

कई प्लाज्मा देने को भी तैयार हैं, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में लगभग आधा दिन बीत जाता है और पुलिसकर्मियों को छुट्टी नहीं दी जा रही है. इसलिए हमने मुंबई पुलिस के संयुक्त आयुक्त (क्राइम एंड लॉ) विश्वास नाग्रे पाटिल को पत्र लिख यह अपील की थी कि वे सभी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षकों कहे कि यदि उनका कोई पुलिसकर्मी प्लासमा दान करना चाहता है तो उसे छुट्टी दी जाए. उनकी इस पहल से अन्य रोगियों की जान बच सकती है. हमने पुलिस प्रशासन से यह भी मांग की है कि वे कोरोना से ठीक हुए कर्मचारियों की एक सूची बनाए और उनके ब्लड ग्रुप की जानकारी भी लें. ताकि जरूरत के समय पर उनसे संपर्क किया जा सके. प्लाज्मा दान कर कई जिंदगियों को बचाने का कार्य भी मुंबई पुलिस कर सकती है.

क्या कहते हैं आंकड़े

मुंबई पुलिस की उपायुक्त एवं प्रवक्ता एन. अम्बिका ने बताया कि मुंबई में अबतक कुल 6,497 पुलिसकर्मी कोरोना से ग्रसित हुए हैं, जिसमें से 5,790 ने कोरोना को मात दिया है जबकि 86 को अपनी जान गंवानी पड़ी है.

डॉक्टरों की सुरक्षा का मुद्दा

डॉ. दीपक ने कहा कि अक्सर मरीज के परिजन डॉक्टरों के साथ मार पीट और गालीगलौज करते है. पुलिस एफआईआर लेने के बजाए एनसी लेती है. इसलिए हमने जॉइंट कॉमिशनर विश्वास नाग्रे पाटिल से यह भी मांग की है कि इन घटनाओं में एफआईआर दर्ज होना चाहिए. इसी के साथ कर्नाटक पुलिस द्वारा डॉक्टरों और पुलिस के बीच संवाद स्थापित करने के लिए बनाए गए सिस्टम की कॉपी भी दी ताकि उसे मुंबई में भी लागू किया जाए.