मुंबई. पिछले 2 महीने से कोरोना के चलते सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाऊन के कारण राज्य में बिजली की मांग काफी कम हो गयी थी. खासकर औद्योगिक एवं वाणिज्य क्षेत्र के ग्राहकों में बहुत मांग घट गई थी.
अब राज्य सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को गति देने एवं जनजीवन को धीरे-धीरे सामान्य बनाने का प्रयास किया जा रहा है. सरकार के प्रयत्न से प्रदेश भर में विभिन्न उद्योग धंधे तथा वाणिज्यिक संस्थान अपने उत्पादन पुनः शुरू करने से राज्य में बिजली की मांग बढ़ने वाली है.
कोरोना काल में महानिर्मिति की उपलब्धि
28 मई को राज्य भर में मुंबई समेत कुल 21288 मेगावॅाट बिजली की मांग थी, जबकि 29 मई को दोपहर 12:45 बजे राज्य में बिजली की कुल मांग 20356 मेगावॅाट की थी. इस मांग की आपूर्ति करने में महानिर्मिती का 6637 मेगावॅाट योगदान रहा. जबकि महानिर्मिती के औष्णिक ऊर्जा (ऊष्मा बिजली उत्पादन केंद्र) केंद्र ने 6278 मेगावॅाट बिजली की आपूर्ति की. इसके अलावा राज्य के केंद्रीय ग्रीड से भी लगभग 6166 मेगावाट बिजली उत्पादित की गई. जबकि निजी बिजली उत्पादकों ने लगभग 5400 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की.
इस बढ़ती मांग की आपूर्ति में महानिर्मिती के विविध बिजली उत्पादन केंद्र में कार्यरत कर्मचारियों में कोरोना से बचाव के सभी उपकरणों का प्रयोग करते हुए सावधानी रखी जा रही है. मांग के अनुसार उत्पादन बनाए रखने के लिए वरिष्ठ व्यवस्थापन के मार्गदर्शन में महानिर्मिती के इंजीनियर, तकनीशियन सराहनीय कार्य कर रहे हैं. महानिर्मिति के कुल 28 औष्णिक उत्पादन केंद्र बिजली उत्पादन के लिए तैयार हैं.
सभी केंद्रों पर कोयले का भरपूर भंडार
वर्तमान में उनमें से मांग के अनुसार 19 उत्पादन केंद्र शुरू हैं. मेरिट ऑर्डर डिसपॅच प्रणाली के अनुसार अभी कोराडी में 210 मेगावॅाट के 2 केंद्र, भुसावल में 500 मेगावॅाट क्षमता का 1 व 210 मेगावाट क्षमता का 1, नाशिक में 210 मेगावॅाट के 3 केंद्र, परली में 250 मेगावॅाट क्षमता के 2 केंद्र समेत कुल 9 केंद्र जीरो शेड्युल के अनुसार बंद रखा गया है. भविष्य में मांग के अनुसार चरणबद्ध तरीके से इन्हें चालू किया जाएगा. इन सभी केंद्रों पर कोयले का भरपूर भंडार जमा किया गया है ताकि बरसात में कोयले की कोई कमी न होने पाए.