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  • विभाग में 40 फीसदी जॉब के लिए भटक रहे

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नागपुर. बेरोजगारी केवल विदर्भ ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए गंभीर समस्या बनी हुई है. कोरोना संकट की वजह से स्थिति और भी गंभीर हो गई है. विदर्भ के 6 जिलों में करीब 35 लाख ग्रेजुएेट में से 40 फीसदी बेरोजगार होने का अनुमान है. भविष्य में स्थिति और भी गंभीर होगी. विदर्भ की पृष्ठभूमि और प्राकृतिक संसाधनों को ध्यान में रखकर नियोजन किया गया तो युवाओं को रोजगार के नये साधन उपलब्ध कराए जा सकते हैं. लेकिन इसके लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति सबसे जरुरी है.

स्नातक युवाओं के रोजगार, स्वयं रोजगार सहित आर्थिक और सामाजिक विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखकर ही स्नातक निर्वाचन मतदान क्षेत्र बनाया गया. चुनाव में जीतने के बाद 6 वर्ष के लिए विधान परिषद की सदस्यता मिलती है. युवाओं को उम्मीद रहती है कि उनके विकास के लिए योजनाएं कार्यान्वित की जाये. लेकिन पिछले वर्षों में सुशिक्षित युवाओं को भटकना पड़ रहा हैं. 

अब तक 1.81 मतदाता पंजीकृत

हालांकि अब तक स्नातक निर्वाचन मतदान क्षेत्र के चुनाव की तिथि घोषित नहीं हुई है, लेकिन उम्मीद है कि जनवरी में चुनाव कराए जा सकते हैं. वैसे जुलाई में ही 6 वर्ष की समयावधि पूर्ण हो गई थी. लेकिन कोरोना संकट की वजह से चुनाव टल गये. अब तक कुल 1.81 लाख वोटर ने पंजीयन कराया है. पंजीयन की प्रक्रिया सतत रुप से जारी है. यही वजह है कि चुनाव तक मतदाताओं की संख्या में और वृद्धी होने की संभावना है. पिछली दफा 2.88 लाख मतदाता थे. इस बार नये सिरे से मतदाता सूची तैयार की गई है. यह पहली दफा होगा जब मतदाता सूची में मतदाताओं की फोटो होगी. 

भाजपा का रहा वर्चस्व 

चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां तैयार हो गई है. कुछ पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है, वहीं कुछ दल अब तक नाम घोषित नहीं कर पाये हैं. वैसे देखा जाये तो इस सीट पर अब तक भाजपा का एकछत्र राज रहा है. शुरूआत से लेकर पिछली टर्म तक भाजपा के उम्मीदवार की जीतते आये है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी इसी निर्वाचन क्षेत्र से चार बार विधायक रह चुके हैं. बदलती परिस्थितियों के साथ ही अब स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर आने वाले जनप्रतिनिधि से युवाओं की उम्मीदें भी बढ़ गई है. यही वजह है कि इस बार होने वाला चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण होगा.