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    नागपुर. स्थानीय प्रशासन यानी मनपा को पिछले करीब 15-16 महीनों से लगता है कोरोना का बहाना मिल गया है. सिटी के सारे के सारे विकास व मेंटेनेंस के कार्य ताक पर रख दिए गए हैं. नये मेयर दयाशंकर तिवारी ने पदभार संभालने के बाद तत्कालीन मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे द्वारा रोके गए सारे विकास कार्यों को शुरू करने का निर्देश दिया था. सारी अधूरी सीमेन्ट सड़कों को पूरा करने और मंजूर सड़कों का काम शुरू करने का आदेश भी उन्होंने दिया था लेकिन इसके अलावा अन्य सारे कार्य ठंडे बस्ते में डाल दिए गए हैं. इन कार्यों में सिटी के सारे मुख्य लेकव्यू और गार्डन्स का भी समावेश है. चाहे वह फुटाला परिसर हो, अंबाझरी, शुक्रवारी तालाब हो या सक्करदरा लेक व उद्यान. सारे के सारे कोरोना प्रोटोकाल के तहत बंद तो किए गए हैं लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में ये बदहाल भी हो रहे हैं. फुटाला लेक के किनारे बना हुआ पंकृवि का सतपुड़ा बाटनिकल उद्यान तो करीब 3 वर्षों से बंद पड़ा हुआ है.

    सीमेन्ट के जंगल में राहत के स्थान

    कुछ लोग ऐसे भी हैं जो भागमभाग की जिंदगी से दूर प्रकृति के समीप जाकर सुकून महसूस करते हैं. ऐसे प्रकृति प्रेमियों को शहर के फुटाला, सतपुड़ा पार्क, अंबाझरी लेक व गार्डन, शुक्रवारी तालाब और उद्यान, सक्करदारा लेक और गार्डन, तेलनखेड़ी उद्यान आदि की सुविधा थी. यहां वीकेंड में हुजूम उमड़ता था. सारी झंझटों से दूर हरे-भरे पौधों, रंगबिरंगे फूलों, झील के बीच फाउंटेन्स का मनोहारी दृश्य और मंद-मंद बहती ठंडी हवा की बयार मन को प्रफुल्लित किया करती थी. तरोताजा कर देती थी लेकिन आज सिटी के सारे उद्यान कोरोना लॉकडाउन के कारण बंद हैं तो कई तो पहले ही विविध कारणों से बंद कर दिये गये थे. अनेक नागरिक अभी भी मार्निंग वाक के लिए इन परिसरों में जाते हैं. ये लोगो उद्यानों के खुलने का इंतजार भी कर रहे हैं. परिसर की दुर्दशा देखकर उन्हें दुख भी होता है. लोगों का कहना है कि केवल सीमेन्ट के रोड, इमारतें खड़ी कर सिटी को विकसित नहीं बनाया जा सकता, बल्कि नेचुरल ब्यूटी का विकास और उसका संरक्षण भी अनिवार्य है.

    बोटिंग तो वर्षों से बंद

    अंबाझरी लेक में बोटिंग और फुटाला लेक में रंगबिरंगी फव्वारे की सुंदरता को लोग भूले नहीं हैं. अभी दोनों जगहों पर सब बंद है. कोरोना लॉकडाउन के पहले से ही दोनों परिसर की हालत खस्ता है. अंबाझरी के विकास के लिए परिसर को देवेन्द्र फडणवीस सरकार के समय एमटीडीसी को देने की प्रक्रिया चल रही थी लेकिन उसने इसमें रुचि नहीं दिखाई. मनपा का कहना है कि अब अंबाझरी के विकास आदि का जिम्मा एमटीडीसी का है. फुटाला परिसर में निर्माण कार्य चल रहा है इसलिए काम पूरा होने तक वहां जाने से लोग बच रहे हैं. अन्यथा गर्मी के दिनों में देर शाम से रात तक यहां पूरी सिटी से युवा व परिवारजन आया करते थे. फुटाला से सटे सतपुड़ा उद्यान में वीकेंड में भारी भीड़ उमड़ा करती थी जो कोरोना लॉकडाउन के पहले से करीब 3 वर्षों से बंद पड़ा हुआ है. जानकारी के अनुसार पंकृवि व ठेकेदार के बीच कुछ विवाद के चलते यह बंद है.

    सक्करदरा में होती थी रौनक

    दक्षिण नागपुर में सक्करदरा लेक और उससे सटे उद्यान में कभी रौनक हुआ करती थी. इसी परिसर से सटा बालीवुड सेंटर प्वाइंट युवाओं की सहल का केन्द्र हुआ करता था. बीते कुछ वर्षों से यह बंद हो गया है. बालीवुड सेंटर प्वाइंट का पूरा परिसर अब खंडहर होता जा रहा है लेकिन एनआईटी द्वारा इसके लिए कुछ नहीं किया जा रहा. सक्करदरा लेक तो पूरी तरह सूख गया है और कचरा-वनस्पति से पटा हुआ है. इसकी सफाई तक नहीं की जा रही है. जब इस लेक में पानी लबालब होता था तो गार्डन की सीढ़ियों में बैठकर लहरों व ठंडी हवा का आनंद लेते लोग यहां सुकून महसूस किया करते थे. अब तो उद्यान की हालत भी देखरेख के अभाव दयनीय होती जा रही है. सिटी के बीच में स्थित शुक्रवारी तालाब के किनारे जो खाउ गल्ली बनाई गई थी वह तो पूरी तरह तबाह हो गई. 50-60 लाख रुपये का निर्माण बर्बाद हो गया है.

    खोलो मत, मेंटेन तो करो

    नागरिकों का कहना है कि कोरोना लॉकडाउन के काल में उद्यानों व लेक व्यू परिसर को भले ही प्रशासन बंद रखे लेकिन इन परिसरों की देखभाल-दुरुस्ती का काम तो बंद न करे. उलटे जो काम अटके पड़े हैं उन्हें पूरा इस काल में किया जा सकता है. जब भी हालात  सामान्य होंगे और लॉकडाउन में छूट मिलेगी तो नागरिकों को सिटी के यह परिसर सुंदर व स्वच्छ तो मिलेंगे. सीमेंट के जंगल होते शहर में जो भी ग्रिनीज और वाटर बॉडी हैं उन्हें बचाने की ओर तो प्रशासन व सत्ताधारी ध्यान दे ही सकते हैं.