नागपुर. एमआईडीसी थाना में आईपीसी की धारा 406 के तहत दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए रणजीत देशमुख के पुत्र अमोल देशमुख की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका पर लंबी सुनवाई के बाद न्यायाधीश वी.एम. देशपांडे और न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने राहत प्रदान कर एफआईआर ही निरस्त करने के आदेश जारी किए.
याचिकाकर्ता की ओर से अधि. राहुल भांगडे, सरकार की ओर से अधि. एन.एस. राव और वीएसपीएम अकादमी ऑफ हायर एजुकेशन की ओर से अधि. आदिल मिर्जा ने पैरवी की. अभियोजन पक्ष के अनुसार इस शिक्षा संस्थान की ओर से दायर अर्जी में पुलिस को मामला दर्ज करने के आदेश देने का अनुरोध किया गया था. हिंगना के प्रथम श्रेणी न्याय दंडाधिकारी की ओर से 7 नवंबर 2019 को एक अर्जी पर फैसला सुनाया गया था.
संस्थान पर 2017 तक रहे सचिव
प्रथम श्रेणी न्याय दंडाधिकारी द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार अमोल देशमुख के खिलाफ धारा 406 के तहत मामला दर्ज किया गया था. एफआईआर के अनुसार 28 मई 2018 के बाद वीएसपीएम अकादमी ऑफ हायर एजुकेशन संस्थान के सचिव बनने के बाद यादवराव चालखोर संस्थान की दैनिक गतिविधियों का संचालन कर रहे थे. संस्थान में रणजीत देशमुख अध्यक्ष एवं अन्य 9 लोगों का समावेश था.
13 जनवरी 2013 से लेकर 23 नवंबर 2017 तक अमोल देशमुख संस्थान में सचिव रहे. सचिव के अधिकार में आनेवाले दैनिक कार्यों का संचालन उनके द्वारा किया जा रहा था. संस्थान के नाम पर खरीदी गई एक कार उन्हें सौंपी गई थी. 23 नवंबर 2017 को संस्थान में नई कार्यकारिणी के लिए चुनाव हुए. जिसमें याचिकाकर्ता को सचिव पद से निकाल दिया गया.
वापस नहीं सौंपी थीं कार
एफआईआर के अनुसार सचिव पद से निकाले जाने के बावजूद याचिकाकर्ता ने कार वापस नहीं की थी. स्वयं के लिए कार का उपयोग किया जा रहा था. जिसके लिए उक्त मामला दर्ज किया गया. याचिकाकर्ता के वकील का मानना था कि शिकायत दर्ज करनेवाले ट्रस्टियों की ओर से सहधर्मदाय आयुक्त के पास सचिव बदले जाने की परिवर्तन की रिपोर्ट पेश की गई थी. जिसे लेकर याचिकाकर्ता की ओर से कई मुद्दों को लेकर सहधर्मदाय आयुक्त के पास आपत्ति अर्जी दायर की थी.
इस परिवर्तन रिपोर्ट पर अब तक निर्णय नहीं हुआ है. निश्चित ही ट्रस्ट के नाम पर कार का पंजीयन होने के बावजूद याचिकाकर्ता द्वारा इसका उपयोग किया गया है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत का मानना था कि याचिकाकर्ता देशमुख सचिव है या नहीं, इसका निर्णय नहीं हो पाया है. अत: दायर एफआईआर भी गलत है.