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प्रोफेसर साईबाबा (फाइल फोटो)

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नागपुर. बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईबाबा की ओर से दायर एक याचिका पर महाराष्ट्र सरकार को मंगलवार को नोटिस जारी किया। याचिका में उन्होंने अपनी दिवंगत मां के अंतिम संस्कार के बाद के क्रिया कलापों में शामिल होने के लिए आपात-स्थिति पैरोल देने का अनुरोध किया है। माओवादियों से संबंध रखने के जुर्म में नागपुर स्थित केंद्रीय कारागार में उम्रकैद काट रहे साईबाबा की मां का एक अगस्त को निधन हो गया था जबकि उनके वकील दोनों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंस कराने का अनुरोध कर रहे थे। पिछले हफ्ते, जेल के अधिकारियों ने साईबाबा का आवेदन खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने अपनी 74 वर्षीय मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने की इजाजत मांगी थी।

इससे पहले भी उन्होंने हैदराबाद में अपनी मां से मिलने के लिए जेल अधिकारियों से अनुमति मांगी थी लेकिन उसे खारिज कर दिया गया था। अपनी नयी याचिका में, साईबाबा ने पैरोल पर जेल से रिहा किए जाने का अनुरोध किया है ताकि वह अपनी मां के अंतिम संस्कार के बाद के रीति-रिवाजों में शामिल हो सकें। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को इस याचिका पर 18 अगस्त तक जवाब देने का मंगलवार को निर्देश दिया। पिछले महीने, उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी

जिसमें उन्होंने चिकित्सीय आधार पर 45 दिनों के लिए रिहा किए जाने का अनुरोध किया था ताकि उन्हें बाहर इलाज भी मिल सके और वह अपनी मां से भी मिल सकें। 90 प्रतिशत तक दिव्यांग साईबाबा और चार अन्य को महाराष्ट्र के गड़चिरौली की सत्र अदालत ने माओवादियों से संपर्क रखने और ‘‘देश के खिलाफ जंग छेड़ने” जैसी गतिविधियों में लिप्त होने के दोष में मार्च 2017 को सजा सुनाई थी।