नागपुर. कोरोना वैश्विक महामारी के चलते देश में पिछले 25 मार्च से लॉकडाउन है। इस दौरान देश के सभी स्कूल, कॉलेज, इंस्टिट्यूट, कोचिंग क्लास बंद है। इसलिए शिक्षा क्षेत्र में काल के अनुरूप बदलाव किया जा रहा है। वर्तमान में सरकारी स्कूलों समेत निजी स्कूल, कोचिंग क्लास भी ऑनलाइन शिक्षा की ओर बढते दिखाई दे रहे है। इस बिच कोविड-19 के बाद ‘शिक्षा क्षेत्र का भविष्य’ कैसा होगा, कौन से नए बदलाव लाने होंगे, और इस कठिन स्थिति से बाहर निकलने के लिए शिक्षा क्षेत्र को कितना समय लग सकता है। इन सभी मुद्दों पर डॉ. प्रभाकर कोरे ने नवभारत लॉकडाउन वाइब्स कार्यक्रम में नवभारत के फेसबुक पेज पर चर्चा की।
डॉ. प्रभाकर कोरे ने कहा कि मेरी संस्था दूसरे संस्थाओं से काफी अलग हैं। क्योंकि हमारी 60 प्रतिशत से ज्यादा संस्थाएं ग्रामीण इलाकों में हैं। और हमने पिछले दो महीने पहले ही ऑनलाइन शिक्षा की शुरुआत कर दी हैं। अगर ग्रामीण इलाकों की बात करें तो मौजूदा समय में जो परिस्थिति हैं उसमें मैंने देखा हैं कि ग्रामीण इलाकों में ऑनलाइन शिक्षा के लिए 70 प्रतिशत छात्र ही उपस्थित रहते हैं। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र होने से यहां गरीब लोग हैं। साथ ही छोटा गांव होने से इंटरनेट कनेक्टिविटी की भी बड़ी दिक्कत होती हैं। ऑनलाइन शिक्षा के लिए यह एक गंभीर समस्या हैं। अगर इसे जारी रखना हैं तो इसमें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। वहीं शहरी इलाकों में यह परिस्थिति विपरीत है। शहरों में छात्रों के अभिभावक शिक्षित है और वे अपने बच्चों को मार्गदर्शन कर सकते है। साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी होती है।
डॉ. कोरे ने कहा कि सरकार ऑनलाइन शिक्षा के लिए दबाव डाल रही हैं, लेकिन ऑनलाइन शिक्षा और क्लास की शिक्षा में काफी फर्क है। क्योंकि कुछ समय कक्षा में और कुछ समय ऑनलाइन रहना यह भविष्य में मिक्स हो जायेगा। उन्होंने कहा ऑनलाइन शिक्षा सभी क्षेत्रो के लिए काम नहीं कर सकेगी। जैसे की अभियांत्रिकी और मेडिकल की शिक्षा में प्रैक्टिकल को ज्यादा महत्व है। जब तक कोई डॉक्टर मरीज पर प्रैक्टिस नहीं करेगा तब तक उसे कुछ समझ नहीं आएगा। मरीज से बातचीत करने के बाद ही उसपर क्या इलाज करना है वह समजेगा।
सांसद ने खेल शिक्षा के बारें में कहा कि, खेल के क्षेत्र में ऑनलाइन शिक्षा काम नहीं आएगी। खेल में खिलाड़ी जब तक मैदान पर जाकर नही खेलेगा, या संबंधित खेल का मैदान देखता नहीं तब तक उसे कुछ भी समझ पाना मुश्किल हैं। इसी तरह स्विमिंग भी ऑनलाइन नहीं सिखाई जा सकती हैं। छात्रों को बैच वाइज ही स्विमिंग सिखायी जा सकती हैं। लेकिन हमें मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए इसका समायोजन करना हैं। यह कोविड-19 के बाद ही संभव होगा।
डॉ. कोरे ने कहा आर्ट और कॉमर्स में प्रैक्टिकल नहीं होते इसलिए इन शिक्षा के लिए ऑनलाइन शिक्षा प्रभावी है। लेकिन इंजीनियरिंग और मेडिकल की शिक्षा के लिए ऑनलाइन शिक्षा ज्यादा प्रभावी नहीं हो सकती। इसमें काफी समस्याएं पैदा होगी। लेकिन हम इस समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।
डॉ. कोरे ने स्कूल की शिक्षा और शिक्षकों पर किस प्रकार का दबाव होगा इसके बारें में भी बताया। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह से छुट्टियां छात्रों को और शिक्षकों को मिलेगी। इस संबंध में जानने के लिए निचे दिया गया वीडियों देखें।
#Live: के एल ई सोसाइटी के चेयरमैन, डॉ प्रभाकर बी कोरे, ‘कोविड 19: शिक्षा क्षेत्र का भविष्य’ विषय पर चर्चा कर रहे हैं।
NavaBharat यांनी वर पोस्ट केले मंगळवार, २ जून, २०२०