मजाक बन गई ऑनलाइन परीक्षाएं, B.Ed कॉलेज 2 घंटे में ले रहे पेपर

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    नागपुर. कोरोना महामारी की वजह से विवि द्वारा पिछले एक वर्ष से ऑनलाइन परीक्षाएं ली जा रही हैं. लेकिन तमाम तरह की तकनीकी दिक्कतों की वजह से छात्रों को परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है. वहीं परीक्षा की विश्वसनीयता को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. इन दिनों बीएड कॉलेजों द्वारा परीक्षा ली जा रही है. इसमें छात्रों को 2 घंटे में पेपर हल करने के लिए दिया जा रहा है. ऑनलाइन होने से छात्र भी भरपूर फायदा उठा रहे हैं. स्थिति यह है कि परिजन, मित्र और शिक्षक भी पेपर हल करने में मदद कर रहे हैं.

    कोरोना महामारी विवि द्वारा लगभग सभी परीक्षाएं ऑनलाइन ही ली गई. लेकिन बीएड की परीक्षा ऑफलाइन ली गई थी. इन दिनों बैक सब्जेक्ट की परीक्षा ली जा रही है, लेकिन यह परीक्षा महाविद्यालय स्तर पर ऑनलाइन ली जा रही है. मोबाइल पर परीक्षा होने से इसकी मॉनिटरिंग नहीं हो रही है. विवि ने 1 घंटे का समय निर्धारित किया है लेकिन कई बीएड कॉलेजों ने छात्रों को 2 घंटे का समय दिया है. भरपूर समय मिलने की वजह से छात्रों को कोई परेशानी नहीं हो रही है. इतना ही नहीं छात्र परिजनों सहित मित्रों और शिक्षकों की भी मदद ले रहे हैं. परीक्षा शुरू होते ही गुगल पर उत्तर सर्च करने लगते हैं. इस कार्य में आसपास बैठे परिजन ही मदद करते हैं.

    परिजन कर रहे मदद

    कई छात्रों के माता-पिता और बड़े भाई ही पेपर हल कर दे रहे हैं. पेपर देते वक्त कैमरा ऑन नहीं होने से छात्रों की नकल को पकड़ना मुश्किल है. यही वजह है कि मनमानी चल रही है. वैसे भी बीएड का पाठ्यक्रम प्रैक्टिकल पर आधारित है. छात्रों को अध्यापन के संबंध में विविध तरह से अध्याय पढ़ाये जाते हैं. लेकिन एक वर्ष से क्लासेस बंद होने से छात्रों ने कोई भी फिल्ड प्रैक्टिकल नहीं किया. इस हालत में डिग्री हासिल करने के बाद उन्हें प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी. छात्रों का भी कहना है कि जब पढ़ाई ही नहीं हुई तो परीक्षा कैसे देंगे. यदि अनुत्तीर्ण हुये तो फिर से 6 महीने तक इंतजार करना पड़ता है. इतना ही नहीं छात्रवृति भी बंद हो जाती है. इस हालत में जैसे-तैसे परीक्षा का टेंशन दूर कर रहे हैं.

    शिक्षक भी बने सहायक

    गुगल पर प्रश्नों के उत्तर सर्च करने पर आसानी से मिल जाते हैं. केवल बीएड ही नहीं, बल्कि अन्य परीक्षाओं के दौरान भी छात्रों को यही तरकीब अपनाई जा रही है. कई जगह तो शिक्षकों द्वारा भी मदद की जा रही है. छात्रों के ग्रुप को एक जगह बैठाकर शिक्षकों द्वारा प्रश्नों के उत्तर बताने संबंधी जानकारी भी मिल रही है. इस तरह की व्यवस्था छात्रों को मेरिट में तो पहुंचा सकती है लेकिन ज्ञान और अनुभव की कमी होने से भविष्य में दिक्कतें भी खड़ी हो जाएगी.