बस वालों के सामने मजदूर बेबस, झूठ बोलकर बैठाया, नागपुर में ही छोड़ कर भाग रहे

    Loading

    • हैदराबाद से बिहार का किराया लेकर रोजाना नागपुर उतार रहे 

    नागपुर. बस वालों के सामने मजदूर वर्ग पूरी तरह बेबस हो चुका है. प्रा‍इवेट बस वालों की दादागिरी और लूट इस कदर मची है कि अब उन्हें गरीबों की हालत पर भी दया नहीं आती. हैरानी की बात है कि जिस बिहार के लिए हैदराबाद से सीधे बस की सेवा ही नहीं है, वहां तक पहुंचाने के नाम पर मजदूरों को प्राइवेट बस वाले हजारों रुपए वसूल रहे हैं. मजदूरों से पूरा किराया लेने के बाद उन्हें नागपुर में ही छोड़कर भाग रहे हैं. ऐसा रोजाना ही हो रहा है.

    एक-एक मजदूर से बिहार पहुंचाने के नाम पर 4-4 हजार रुपए वसूला जा रहा है लेकिन उन्हें बीच राह पर ही उतार रहे हैं. न तो उनके पैसे वापस कर रहे हैं और न ही उनके लिए कोई दूसरी बस या अन्य साधन की व्यवस्था की जा रही है. भूखे-प्यासे मजदूर रेलवे स्टेशन पर किसी तरह जुगाड़ कर घर जाने का प्रयास कर रहे हैं तो वहीं कुछ श्रमिक रेलवे टीटीई को अपना दर्द बताकर उनसे मदद मांगने पर मजबूर हैं.

    मजदूरों को बसों से जबरिया डरा-धमकाकर, मारपीट कर उतारा जा रहा है. गरीब और बेसहारा मजदूर इसकी शिकायत भी नहीं कर पाते हैं. इसके बाद किसी तरह रेलवे स्टेशन पर पहुंच कर ट्रेन से अपने घर जा रहे हैं. इसका खुलासा तब हुआ जब रेलवे स्टेशन पर मौजूद मजदूरों की भीड़ से बात की गई. मजदूरों ने अपना हाल बताया कि कैसे उनके साथ प्राइवेट बस संचालकों ने लूट की.       

    हैदराबाद से पटना डायरेक्ट बस सेवा ही नहीं

    हैदराबाद और मलाजखंड से मजदूरों को ये बोलकर बैठाया जा रहा है कि उन्हें हैदराबाद से पटना और दानापुर तक पहुंचाया जाएगा. लेकिन हकीकत यह है कि हैदराबाद से सीधे बिहार के लिए कोई बस सेवा ही नहीं है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी चेक करने पर एक भी बस हैदराबाद से सीधे बिहार के लिए नहीं दिखा रही है. मजदूरों से झूठ बोलकर ट्रैवल एंजेंसी वाले लूट रहे हैं. बीच रास्ते में उतारकर मजदूरों को डराया-धमकाया भी जाता है. दूसरे राज्य में होने की वजह से मजदूर विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं.  

    एक-एक से 4,000 रुपए वसूल रहे किराया

    गरीबों की लूट का अंदाजा इस तरह भी लगाया जा सकता है कि एक-एक मजदूर से हैदराबाद से बिहार के लिए 4,000 रुपए तक की वसूली की जाती है. ट्रेन में अपना हाल बताते हुए राहुल प्रजापति और योगेश शाहा ने कहा कि लॉकडाउन में घर में खाने को भी पैसे नहीं थे. किसी तरह तेलंगाना कमाने पहुंचे.

    वहां पर 2 महीने काम करने के बाद जब कुछ पैसे बचाकर घर ले जा रहे थे तो रास्ते में ही बस वालों ने उतार दिया. पैसे भी नहीं लौटाये और दूसरी व्यवस्था भी नहीं की. अब यहां से वापस जाने के लिए वापस हमें ट्रेन का किराया देना पड़ेगा. आधे पैसे तो जाने में ही खत्म हो गए. ऊपर से बस वालों की दादागिरी के कारण भी मानसिक पीड़ा और समय की बर्बादी उठानी पड़ी.  

    रोजाना 15-20 मजदूर पहुंच रहे स्टेशन

    बस वालों के नागपुर उतारने के बाद मजदूरों के पास घर पहुंचने का सिर्फ एक ही रास्ता बच जाता है ट्रेन का है. ट्रेन से यात्रा करने के लिए इस तरह के रोजाना 15-20 मजदूर पहुंच रहे हैं. पीड़ित मजदूर सबसे ज्यादा हैदराबाद और मलाजखंड में काम करने वाले हैं जो बिहार से वहां काम की तलाश में पहुंचे थे. उनका कहना है कि लॉकडाउन की वजह से बिहार में कुछ काम बचा नहीं. मजबूरन हमें तेलंगाना जाकर मजदूरी करनी पड़ती है लेकिन घर जाते वक्त सारी कमाई बस वाले लूट लेते हैं  

    बिहार पहुंचकर करेंगे शिकायत

    ट्रेन में नागपुर से बिहार के लिए यात्रा कर रहे यात्रियों ने बताया कि उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं. उनके पास अब पैसे भी नहीं बचे हैं लेकिन बस चालक ने उन्हें बीच रास्ते में छोड़ दिया. वहीं कुछ पुलिसकर्मी भी मौके पर मौजूद थे. किन्तु किसी ने भी उनकी बात नहीं सुनी. प्रवासी मजदूर बस चालक के रवैए से काफी परेशान और हताश थे. उन्होंने कहा है कि वे बिहार जाकर इसकी शिकायत वहां के स्थानीय विधायक और कलेक्टर से भी करेंगे. 

    रेलवे स्टेशन पर बढ़ी भीड़

    रेलवे स्टेशन पर इन दिनों ऐसे मजदूरों की भीड़ रोजाना बढ़ती ही जा रही है. डर और अपना प्रदेश नहीं होने की वजह से ये मजदूर कहीं शिकायत भी नहीं करते. बस संचालकों द्वारा खुलेआम मजदूरों को एक तरह लूटा जा रहा है. मजदूरों की सुनने वाला भी कोई नहीं है. वे कहीं से उधार पैसे लेकर ट्रेन का टिकट खरीद कर अपने घर किसी तरह पहुंच रहे हैं. ये प्रवासी मजदूर बिहार और उत्तर प्रदेश से हैदराबाद में दिहाड़ी मजदूरी करने के लिए जाते हैं.