NMC School

  • गंभीरता से ध्यान नहीं दे रही मनपा
  • 81 मराठी माध्यम की स्कूल
  • 34 स्कूल हो चुकी है बंद

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नागपुर. मनपा की स्कूलों में पढ़ने के बाद कई छात्र आईएएस करने के बाद राज्य सरकार की सेवाओं में सचिव पद तक पहुंच गए हैं. इसके बावजूद मराठी माध्यम की प्राईमरी स्कूलों को नजरअंदाज किया जा रहा है. यहां तक कि 53 स्कूलों में से 23 स्कूल बंद होने से विशेष रूप से गरीब वर्ग के परिवारों पर इसक असर पड़ रहा है. यहां तक कि स्कूल बंद होने से अखिल भारतीय दुर्बल समाज विकास संसाधन की ओर से जनहित याचिका भी दायर की गई. जिस पर हाईकोर्ट की ओर से मनपा की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताए जाने के बाद भी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जा रहा है. बताया जाता है कि आवश्यक छात्र नहीं मिलने के कारण बंद की गई 34 मराठी स्कूलों में से प्रायोगिक तत्व पर 3 स्कूलों को शुरू तो किया गया, किंतु मनपा द्वारा इन तीनों स्कूलों पर भी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया.

बेटी पढ़ाओं पर हो रहा असर

एक ओर देश भर में बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का नारा दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर मनपा के मराठी माध्यम की स्कूलें बंद होने से विशेष रूप से बच्चियों पर इसका विपरित असर पड़ रहा है. जनहित याचिका दायर करनेवाली संस्था के अध्यक्ष द्वारा ली गई जानकारी के अनुसार ही अबतक मनपा क्षेत्र में 23 स्कूल बंद होने की जानकारी प्रशासन की ओर से दी गई. मनपा की इस बेरूखी तथा गरीब वर्ग के छात्रों के हो रहे नुकसान को देखते हुए संस्था की ओर से मराठी स्कूलों को शुरू करने के लिए कई बार ज्ञापन भी दिया गया. किंतु अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है. हाईकोर्ट की ओर से भी कड़ा रूख अपनाए जाने के बावजूद प्रशासन की ओर से लीपापोती के अलावा कुछ नहीं किया जा रहा है.

असामाजिक तत्वों का लगा रहता डेरा

प्रशासन की बेरूखी के चलते इन शालाओं पर ताले पड़ रहे है. यहां तक कि सरकार और मनपा की ओर से ध्यान नहीं दिए जाने के कारण स्कूलों की हालत खराब हुई है. हालात यह है कि कुछ स्कूल संचालित तो हो रही है, लेकिन परिसर में असामाजिक तत्वों का डेरा लगा रहता है. यहां कि कुछ स्कूलों में आवारा पशु का डेरा रहता है. गत 5 वर्षों में भारी मात्रा में मनपा स्कूलों की संख्या में कमी आई है. जबकि कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार शिक्षकों की संख्या में वृद्धि दिखाई दे रही है.