- हाईकोर्ट ने मनपा को दिए आदेश
नागपुर. धरमपेठ स्थित ट्राफिक चिल्ड्रन पार्क के संचालन के लिए मनपा की ओर से जारी किए गए टेंडर को चुनौती देते हुए सिविल एक्शन गिल्ड फाऊंडेशन की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. याचिका पर चली लंबी सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने फैसले के लिए मामला सुरक्षित कर, हाईकोर्ट के फैसले तक टेंडर ना खोलने के आदेश मनपा आयुक्त को जारी किए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. तुषार मंडलेकर, मनपा की ओर से जैमीनी कासट ने पैरवी की. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि 10 जुलाई 2020 को निकाला गया टेंडर पूरी तरह अवैध है. यहां तक कि धरमपेठ क्षेत्र के लोगों के मूलभूत अधिकारों का हनन करनेवाली प्रक्रिया है.
पार्क के भीतर अवैध निर्माण
अधि. मंडलेकर ने कहा कि प्राथमिक दृष्टि से पार्क के भीतर किया गया निर्माणकार्य ही अवैध है. महाराष्ट्र म्युनिसिपल कार्पोरेशन एक्ट की धारा 253 के अंतर्गत आवश्यक मंजूरी निर्माणकार्य के लिए नहीं ली गई. यहां तक कि इमारत निर्माण का प्रमाणपत्र और अक्यूपेन्सी प्रमाणपत्र तक नहीं लिया गया. चूंकि जगह का आरक्षण पार्क के लिए है. अत: इसका दूसरा उपयोग नहीं किया जा सकता है. 7 जनवरी 2000 को जारी किए गए डेवलपमेंट प्लान में भी इस जगह को बगीचे के लिए आरक्षित दर्शाया गया है. जबतक एमआरटीपी कानून की धारा 37 के अनुसार कानूनन जमीन का उपयोग नहीं बदला जाता, तबतक ना तो एम्युजमेंट पार्क और ना ही व्यवसायीक उपयोग हो सकता है. जबकि टेंडर के अनुसार आपरेटर को सामाजिक कार्यक्रमों की अनुमति दी जा रही है. हालांकि अब बदले गए टेंडर के रूप के अनुसार केवल बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम की अनुमति होने का हवाला दिया जा रहा है.
9 वर्षों तक हुआ संचालन, लोगों ने नहीं उठाई आपत्ति
मनपा की ओर से पैरवी कर रहे अधि. जैमीनी कासट ने कहा कि पार्क का संचालन और रखरखाव करने के लिए निधि की आवश्यकता है. विवादित जमीन पार्क के लिए आरक्षित है, ना कि गार्डन के लिए है. 2 दिनों पहले टेंडर में किए गए सुधार के अनुसार अब 12 वर्षों तक के बच्चों के लिए पार्क के भीतर गतिविधियों को अनुमति दी जा रही है. ट्राफिक पार्क और एजूकेशन पार्क होने के कारण इस तरह की गतिविधियां करने की अनुमति टेंडर पानेवाले एजेन्सी को दी जा रही है. कासट ने कहा कि इसके पूर्व भी पार्क का इसी तरह 9 वर्षों तक संचालन होता रहा है, लेकिन आश्चर्यजनक है कि स्थानिय लोगों की ओर से उस समय कोई आपत्ति नहीं जताई गई.