Asha sevika

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    नाशिक. कोरोना महामारी (Corona Epidemic) के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों (Rural Areas) में स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए अपने जीवन को जोखिम में डालने वाली आशा सेविकाएं (Asha sevika) स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (National Rural Health Mission) के तहत, प्रत्येक गांव के स्तर पर नागरिकों और स्वास्थ्य विभाग को जोड़ने में उनकी भूमिका है। कोरोना के प्रकोप के कारण जो पिछले साल से चल रहा है, आशा सेविकाएं गांवों में स्वास्थ्य जागरूकता फैलाने के लिए अपना कर्तव्य निभा रहीं हैं। 

    कोरोना की पहली लहर में आशा सेविकाओं ने अपने वरिष्ठों के मार्गदर्शन में कड़ी मेहनत की है। दूसरी लहर शुरू होने के बाद से उन पर काम का बोझ बढ़ गया है।

    जान खतरे में डालकर कर रहीं काम

    स्वास्थ्य विभाग की ओर से आशा सेविका संदिग्ध मरीजों की डोर-टू-डोर चेक-अप, लोगों के घरों पर जाकर में मरीजों की नियमित जांच, गोलियों का वितरण, मार्गदर्शन आदि कर रही हैं। सर्वेक्षण थर्मलगन और ऑक्सीमीटर की मदद से किया जाता है। ऐसा करते समय उनकी जान खतरे में है, चूंकि आशा सेविका वास्तविक स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ के रूप में अपनी भूमिका निभा रही हैं। सिद्धार्थ बनारसे द्वारा आयोजित चांदोरी समूह की समीक्षा बैठक चांदोरी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के तहत 14 गांवों की आशा सेविकाओं की समीक्षा बैठक  को चिकित्सा अधिकारी डॉ. मुकुंद सवाई की उपस्थिति में आयोजित की गई थी।

    टीकाकरण के लिए टोकन सिस्टम

    इसमें हर गांव के सरपंच और ग्रामसेवकों को 15वें वित्त आयोग से आशा कार्यकर्ता को आवश्यक साहित्य खरीदने की सूचना देकर चांदोरी में स्वास्थ केंद्र में टीकाकरण के लिए टोकन सिस्टम करने की सूचना दी गई। इस दौरान कुछ आशा सेविकाओं ने मानधन को लेकर मुद्दा रखा जिस पर जिला परिषद सदस्य सिद्धार्थ वनारसे ने अपना पूरे साल का मानधन चांदोरी के प्राथमिक स्वास्थ केंद्र के अंतर्गत आने वाली आशा सेविकाओं को देने की घोषणा की।