कंपनियां बंद, फिर भी भेजे लाखों के बिल

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महावितरण कंपनी का अजब कारनामा

केवीएएच प्रणाली का प्रयोग शुरू 

नाशिक. महावितरण कंपनी ने 1 अप्रैल से केवीएएच प्रणाली के तहत बिजली का बिल भेजना शुरू कर दिया है. जिले के उद्यमियों को नियमित बिल से 3-4 गुना अधिक बिल भेजा गया है. इससे उद्यमी अचंभित हो गए हैं. बिजली मंडल की स्थापना से सभी उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष बिजली उपयोग यानि की किलो वाट अवर के अनुसार (केडब्लूएच) यूनिट के तहत बिल निश्चित किया जा रहा था. परंतु अब किलो वोल्ट अम्पियर अवर (केवीएएच) यूनिट के तहत बिलिंग शुरू किया गया है. इस बारे में आयमा ने महावितरण के मुख्य अभियंता ब्रिजलाल जनवीर से शिकायत की, जिसमें कहा गया है कि केवीएएच प्रणाली के तहत उद्यमियों को कंपनी के तकनीकी घटकों में बदलाव करना होगा. पूरा सिस्टम जांच कर पावर फैक्टर नियंत्रित करना होगा. 

नया सिस्टम बिठाने चाहिए समय

इसके लिए एपीएफसी पैनल बिठाना होगा. इस तकनीक को सुचारु करने के लिए उद्यमियों को समय देने की आवश्यक है. परंतु कोविड-19 से 2-3 माह से कंपनी बंद होने से उद्यमियों को अंतर्गत सिस्टम नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला. पावर फैक्टर नियंत्रित करने के लिए महावितरण ने उद्यमियों को अक्टूबर 2020 तक समय देना आवश्यक है. तब तक पुराने केडब्लूएच प्रणाली के तहत बिजली बिल देने की मांग की.

20 लाख का बिजली बिल

सातपुर परिसर के एक मशीनिंग कंपनी को उत्पादन बंद होने के बाद भी अप्रैल का बिजली बिल 20 लाख 35 हजार 685 रुपए भेजा गया है. वास्तविक कंपनी का प्रत्यक्ष बिजली बिल 19472 यूनिट होने के बाद भी केवीएएच प्रणाली से 260848 यूनिट बिल निश्चित किया गया है. लाखों रुपए के बिजली बिल आने से उद्यमी भयभीत हो गए हैं.

क्या है केवीएएच?

पहले के केडब्लूएच प्रणाली में प्रत्यक्ष बिजली उपयोग पर ही बिल निश्चित किया जाता था. परंतु अब केवीएएच प्रणाली में अप्रत्यक्ष उपयोग होने वाले बिजली का भी बिलिंग किया जाएगा. बड़े इंडस्ट्री में कपसिटर बैंक होते हैं. मशीन बंद करने के बाद भी यह कपसिटर कई बार शुरू रहते हैं. इससे अप्रत्यक्ष बिजली का उपयोग होता है. पहले इसके लिए पैसे नहीं लिए जा रहे थे. परंतु नई प्रणाली के तहत इस बिजली उपयोग पर भी रकम ली जाएगी.

केवीएएच प्रणाली के तहत बिजली बिल निश्चित होगा. इस बारे में उद्यमियों को 6 माह पहले बताया गया था. इसके लिए जिले में विविध सेमिनार आयोजित किए गए थे. जिन्होंने उसके तहत बदलाव किए, उन्हें बिजली के बिल कम आए और जिन्होंने नहीं किया उन्हें बिजली बिल अधिक आया.

-प्रवीण दरोली, अधीक्षक अभियंता, नाशिक मंडल

उद्यमियों को नई प्रणाली के तहत 3-4 गुना अधिक बिजली बिल दिए जा रहे हैं. इस प्रणाली के तहत उद्यमियों को तकनीक बदलने के लिए लाक डाउन के चलते समय नहीं मिल पाया. इसलिए महावितरण को अक्टूबर तक पुराने प्रणाली के तहत बिजली बिल देना आवश्यक है.

-धनंजय बेले, चेयरमैन, बीओटी-आयमा