डॉ. ठाकुर ने बचाई आदिवासी व्यक्ति की जिंदगी

Loading

अस्पताल वाले भर्ती करने को नहीं थे तैयार

शिरपुर. कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन में सबसे बुरा हाल गरीबों का हो रहा है. खाना-पीना, रोजगार हो या अन्य समस्या, अगर सेहत बिगड़ जाये तो गरीबों के लिए जान बचाना मुश्किल हो रही है. ऐसी विपरीत परिस्थितियों में डॉ. जितेंद्र ठाकुर ने तहसील के मधुकर भील नामक आदिवासी के लीवर का ऑपरेशन कर नई जिंदगी दी. जिससे डॉ. ठाकुर का तहसील में गरीबों का देवदूत कहकर अभिनंदन हो रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार तहसील के निमझरी निवासी मधुकर भील को एकाएक पेट में  दर्द से व्याकुल हो गया. जिसे शिरपुर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने लीवर डैमेज कहते हुए, मुंबई अथवा पुणे ले जाने के लिए रेफर कर दिया. लॉक डाउन में कैसे ले जायें? कैसे जान बचाई जाये? इन प्रश्नों से परिजन परेशान हो गए. आखिरकार बड़ी हिम्मत के साथ धुलिया तक पहुंचे. लेकिन वहां कोई अस्पताल उसे एडमिट करने को तैयार नहीं हुआ.

2 घंटे में किया लीवर का आपरेशन

पूर्व में गांव की महिला के पेट से 9 किलो की गांठ निकालने वाले डॉ. जितेन्द्र ठाकुर की याद परिजनों को आई. तुरंत डॉ. ठाकुर की भेंट कर सारी हकीकत बयां की. डॉ. ठाकुर ने अपने सिद्धेश्वर अस्पताल में मरीज को भर्ती कराया. तत्काल ऑपरेशन करने का निर्णय लिया. दो घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद डैमेज लीवर को ऑपरेशन कर काबू में किया. डॉक्टर जितेंद्र ठाकुर के प्रयासों से मरीज को नई जिंदगी दी. जिससे मधुकर भील के परिजनों ने डॉ. जितेंद्र ठाकुर को देवदूत की उपाधि दी. इससे पहले डॉ. ठाकुर शिरपुर तहसील के कई आदिवासियों की जिंदगी बचा चुके हैं.