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किसान सभा ने सरकार से की मांग

नाशिक. महामारी के दौरान किसान और खेती संबंधी प्रक्रिया के खिलाफ निकाले गए प्रत्येक आदेश को तत्काल रद्द करने की मांग को लेकर किसान सभा के पदाधिकारियों ने आंदोलन करने के संकेत दिए हैं. जिलाधिकारी को सौंपे गए ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि महामारी का फायदा उठाकर राज्य की जरूरतमंद जनता को अत्यंत निकृष्ट स्तर का अनाज राशन माफियाओं के माध्यम से उपलब्ध कराया गया है. किसान सभा के अनुसार महामारी के कारण असंगठित क्षेत्र और किसान को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा है. हजारों मजदूरों को नौकरी से हटाया गया है. लाक डाउन के दौरान का वेतन नहीं दिया गया है. 

किसानों तक नहीं पहुंची सरकारी मदद

बाजार बंद होने के कारण किसान अपनी फसल समय पर नहीं बेंच पाए. फसल कर्ज समय पर नहीं मिल पाया. सरकार ने मदद देने की घोषणा की, लेकिन किसानों तक नहीं पहुंची. सरकार द्वारा खुले बिक्री का प्रवेश द्वार व्यापारियों के लिए फायदेमंद साबित हुआ. राज्य के राशन दुकानदारों ने नागरिकों को गेहूं, चावल, दाल अत्यंत निकृष्ट स्तर का वितरित किया. कल्याणकारी योजना ठप होने की बात की. 

राशन दुकानों पर घटिया अनाज

संगठन ने किसानों को कर्जमुक्ति देने, आयकर नहीं भरने वाले परिवार को प्रति माह साढ़े सात हजार रुपए देने, प्रत्येक परिवार को प्रति व्यक्ति 10 किलो अनाज देने, पेट्रोल व डीजल की दर वृद्धि वापस लेने, अन्न सुरक्षा कानून की सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के माध्यम से विश्वास निर्माण करने सहित 15 मांगों पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है. ज्ञापन पर किसान सभा के सचिव राजू देसले, जिलाध्यक्ष भास्कर शिंदे, केएन अहिरे, देविदास भोपले, समीर शिंदे, रमजान पठान, उपाध्यक्ष सुखदेव केदारे, दत्तात्रय गांगुर्डे, समीर शिंदे, विजय दराडे, किरण डावखर, नामदेव राक्षे, नामदेव बोराडे, मधुकर मुठाल, साधना गायकवाड़, विनायक शिंदे आदि के हस्ताक्षर हैं.