पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, कोरोना की दूसरी लहर ऐसे समय आई है जब शादी-ब्याह के मुहूर्त शुरू हो गए हैं.
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, कोरोना की दूसरी लहर ऐसे समय आई है जब शादी-ब्याह के मुहूर्त शुरू हो गए हैं. लोगों के उत्साह और उमंग पर इस आपदा ने पानी फेर दिया है. कोई रौनक ही नहीं रही. बारात के आगे बैंड की धुन पर नाचनेवाले दूल्हे के दोस्त बेचैन हैं. कभी उनके कदम ‘आज मेरे यार की शादी है’, ‘लाल दुपट्टेवाली तेरा नाम तो बता’ जैसे बैंड पर बजनेवाले गीतों पर थिरकते थे. दूल्हा भी यह सोचकर खुश होता था कि शादी के लिए रजामंद कर दी, मैंने एक लड़की पसंद कर ली. पैंडेमिक के कारण पंडाल और स्टेज की सजावट करनेवालों का भी धंधा चौपट है. सिर्फ 50 लोगों की मौजूदगी में शादी का क्या मजा रह गया? इतने तो घर के लोग, रिश्तेदार और उनके बाल-बच्चे ही हो जाते हैं. क्या दूल्हा अपने यार-दोस्तों को नहीं बुलाएगा?’’ हमने कहा, ‘‘पिछले कुछ दशकों में शादी में कितना ग्लैमर का तड़का लग गया था. बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में शादियां होने लगी थीं. बड़े होटलों या क्लब में लंच और डिनर के आयोजन किए जाते थे. खाने की इतनी डिशेज रहती थी कि कोई सारी चीजें चख भी नहीं पाता था. वर-वधु पक्ष को लाने-ले जाने के लिए ढेर सारी आलीशान गाड़ियां यहां से वहां दौड़ती थीं. फूलों की दर्शनीय सजावट की जाती थी. काफी पहले से कोरियोग्राफर को बुलाकर बालीवुड के रोमोटिक गीतों पर डांस की प्रैक्टिस कराई जाती थी. अब लेडीज संगीत के नाम पर यही होने लगा था. दुल्हन को ब्यूटी पार्लर ले जाकर विशेष मेकअप किया जाता था. कोरोना ने रंग में भंग कर दिया. जब चेहरे पर मास्क होगी तो लेडीज का मेकअप छुप जाएगा. लिपस्टिक अंडर माय मास्क की नौबत आ जाएगी.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘गेस्ट की तादाद पर नियंत्रण और सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से रिसेप्शन भी फीका-फीका रहेगा. टीम-टाम कम होने से उतना मजा नहीं आएगा. वैसे एक बात जरूर है कि कोरोना ने शादी की शोबाजी का बजट कम कर दिया. लोग उतने पैसे में कुछ आभूषण या गिफ्ट का सामान ज्यादा खरीद लेंगे.’’