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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार ने सीबीआई का बोझ हल्का कर दिया है.

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार ने सीबीआई का बोझ हल्का कर दिया है. उसे किसी मामले की जांच के लिए महाराष्ट्र आने की जहमत नहीं उठानी पड़ेगी. यहां के लिए महाराष्ट्र पुलिस ही काफी है. राज्य की महाआघाड़ी सरकार ने सीबीआई को सीधा संदेश दे दिया है कि मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है?’’ हमने कहा, ‘‘यह तो बड़ी अटपटी बात लगती है. सीबीआई को एक कुशल एजेंसी माना जाता है जो किसी मामले की तह तक पहुंच कर जांच करती है. उसमें एक से एक काबिल अफसर हैं जो अपराध अन्वेषण करते हैं. सीबीआई केंद्र सरकार का हथियार भी है जिसका इस्तेमाल वह अपने राजनीतिक विरोधियों के भ्रष्टाचार के प्रकरणों की जांच के लिए किया करती है. जिस तरह पतंग की डोर कभी तानी जाती है तो कभी ढीली छोड़ी जाती है, वैसा ही हाल सीबीआई का है. केंद्र के इशारे पर कभी जांच तेज की जाती है तो कभी धीमी कर दी जाती है. यदि राजनीतिक तौर पर सेटलमेंट हो गया तो सीबीआई की जांच ठंडे बस्ते में चली जाती है. इतनी ज्यादा खूबियों वाली सीबीआई को ऐसा फरमान क्यों सुनाया जा रहा है कि महाराष्ट्र दी गली विच नो एंट्री!’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, राज्यों की सहमति के बिना सीबीआई वहां कदम तक नहीं रख सकती. संविधान में राज्यों के अपने अधिकार हैं. वे पुराने जमाने के प्रांतों (प्राविंसेस) के समान केंद्र से दबते नहीं हैं. आपको मालूम होना चाहिए कि महाराष्ट्र से पहले 3 गैर बीजेपी शासित राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ और बंगाल ने सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली, ताकि सीबीआई इन राज्यों के अधिकार क्षेत्र या ज्यूरिसडिक्शन में आनेवाले मामलों की जांच न कर सके. इन राज्यों ने इस केंद्रीय जांच एजेंसी को इशारा कर दिया है कि- ये गलियां ये चौबारा यहां आना ना दोबारा!’’ हमने कहा, ‘‘कुछ भ्रष्टाचार के मामलों या घोटालों के सूत्र राज्यों से भी जुड़े होते हैं. बंगाल की तृणमूल सरकार के दौरान सारदा चिटफंड घोटाला हुआ. राजस्थान में विधायकों की खरीद-फरोख्त चर्चा में थी. जिस तरह अमेरिका में एफबीआई है, वैसी अपने यहां सीबीआई है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, एक ही रास्ता है. वो यह कि अगर सुप्रीम कोर्ट किसी प्रकरण की सीबीआई जांच का आदेश देता है तो यह केंद्रीय एजेंसी किसी भी राज्य में जाकर जांच कर सकती है. सुशांतसिंह राजपूत की मौत के मामले में मुंबई में चल रही सीबीआई जांच चलती रहेगी क्योंकि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश से चल रही है. आगे के लिए उद्धव सरकार ने महाराष्ट्र में सीबीआई का रास्ता रोक दिया है. जब मुंबई पुलिस की तुलना ब्रिटेन की स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस से की जाती है तो फिर सीबीआई की यहां जरूरत ही क्या है?’’