सिर्फ ज्ञान ही ज्ञान, अब रात 8 बजे की घोषणा की धार खत्म

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, (Niahanebaaz) अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की रात 8 बजे वाली घोषणा की धार पूरी तरह कुंद हो गई है. वे सिर्फ दाढ़ी वाले बाबा की तरह ज्ञान ही बांटते हैं, समस्याओं का कोई समाधान नहीं बताते.’’ हमने कहा, ‘‘आपको प्रधानमंत्री की गंभीर मुखमुद्रा वाला संबोधन सुनकर धन्य हो जाना चाहिए. वे भी महसूस कर रहे हैं कि कोरोना (Coronavirus) की दूसरी लहर तूफान बनकर आई है. जनता के दर्द व पीड़ा का उन्हें एहसास है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हमें याद है कि पहले पीएम के रात 8 बजे वाले भाषण को लेकर बड़ा सस्पेंस रहा करता था.

    ऐसा लगता था जैसे वे कोई चौंकाने वाली घोषणा करने जा रहे हैं. एक बार उन्होंने ऐसे ही संबोधन में अचानक नोटबंदी की घोषणा कर दी थी. इसके बाद देश में बड़ी हलचल मची. बैंकों के सामने पुराने नोट बदलवाने के लिए लोगों की लंबी कतारें लग गई थीं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भी फटी जेब वाला कुर्ता पहने कतार में लग गए थे. इसके बाद पीएम ने लॉकडाउन की घोषणा की थी. जैसे ही 8 बजे मोदी टीवी पर अवतरित होते थे, यह सोचकर लोगों के दिल की धड़कनें बढ़ जाती थीं कि न जाने वे कौन सा धमाका करने जा रहे हैं!’’

    हमने कहा, ‘‘मोदी के भाषण को लेकर हर समय यह उम्मीद मत बांधिए कि वे सिक्सर ही मारेंगे. देशवासियों ने सोच रखा था कि मोदी अपने संबोधन में देश को वर्तमान हालात से बचाने का मंत्र देंगे. साथ ही यह भी बताएंगे कि गिरती अर्थव्यवस्था को कैसे सुधारा जा सकता है. जनता ने उनसे राहत की उम्मीद की थी लेकिन पीएम कोई दिलासा नहीं दे सके. उन्होंने इतना ही बताया कि सभी लोग पूरी सावधानी बरतें तथा लॉकडाउन से देश को बचाएं. राज्य सरकारें लॉकडाउन को अंतिम विकल्प समझें. श्रमिक जहां हैं, वहीं रहें और पलायन न करें. उनका आशय था कि सभी लोग अपना-अपना देख लो, सरकार कुछ नहीं करने वाली!’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘पीएम के इस भाषण से हमें शेर याद आया- बहुत शोर सुनते थे पहलू में दिल का, जो चीरा तो कतरा-ए-खूं भी न निकला!’’