चंडीगढ़: कृषि क़ानूनों (Agriculture Law) को लेकर हजारों की संख्या में पंजाब (Punjab) से आए किसान (Farmer) सिंधु सीमा (Sindhu Border) पर जमे हुए है. वह कानून को वापसी लेने को लेकर लगातार मांग कर रहे हैं. इसी बीच हरियाणा (Haryana) के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar lal Khattar) ने बड़ा खुलासा किया है. शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए उन्होने कहा, “आंदोलन में असामाजिक तत्व घुस गए हैं, जल्द ही इसको लेकर खुलासा करूँगा.”
दरअसल, पत्रकारों द्वारा किसान आंदोलन में खालिस्तान समर्थकों को लेकर सवाल किया था. जिसपर जवाब देते हुए खट्टर ने कहा, “हमने भीड़ में कुछ ऐसे अवांछित तत्वों के इनपुट मिले हैं. हमारे पास रिपोर्ट है, यह ठोस होने के बाद खुलासा करेगा.” उन्होंने कहा, “हाल ही में कई वीडियो सामने आए हैं, जिसमें वह कहते नज़र आ रहे है कि, ‘जब इंदिरा गांधी को ये कर सकते हैं तो मोदी को क्यों नहीं कर सकते हैं.”
#WATCH We’ve inputs of some such unwanted elements in crowd. We’ve reports, will disclose once it’s concrete. They raised such slogans. In videos they said ‘jab Indira Gandhi ko ye kar sakte hain, to Modi ko kyu nahi kar sakte’: Haryana CM on Khalistan elements in #FarmerProtest pic.twitter.com/ZZQrDTfDA0
— ANI (@ANI) November 28, 2020
हरियाणा के किसानों ने आंदोलन में भागीदारी नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा, “किसान आंदोलन को पंजाब के किसानों ने खड़ा किया है, इस आंदोलन को किसानों की बजाए राजनीतिक दलों और संस्थाओं ने प्रायोजित किया है. हरियाणा के किसानों ने आंदोलन में भागीदारी नहीं की है.”
किसान प्रदर्शन के पीछे अमरिंदर सिंह
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा, “किसान बिल देश के किसानों के लिए हैं। पंजाब को छोड़कर पूरे देश के किसानों ने उन्हें स्वीकार कर लिया है. पंजाब में राजनीतिक कारणों से अमरिंदर सिंह की इंजीनियरिंग की वजह से पंजाब के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.”
संवाद के माध्यम से रास्ता ढूढेंगे
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “भारत सरकार किसानों की समस्याओं के लिए किसान यूनियन से बात करने के लिए पूरी तरह तैयार है। हमने उनको 3 दिसंबर का आमंत्रण भेजा है और मुझे आशा है कि वो सब लोग आएंगे और इस संवाद के माध्यम से रास्ता ढूढेंगे।” उन्होंने कहा, “मैं राजनीतिक दल के लोगों को कहना चाहता हूं कि अगर उनको राजनीति करनी है तो अपने नाम पर राजनीति करें, लेकिन किसानों के नाम पर सियासत नहीं होनी चाहिए।”