nitish kumar

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पटना. बिहार (Bihar Elections) में इस समय विधान सभा चुनाव की धूम है। जहाँ बिहार में पहले फेज की 71 सीटों पर वोटिंग (Voting) फिलहाल हो चुकी है। वहीं आंकड़े यह भी बता रहे हैं कि कोरोना (Corona) से भी  वोटिंग पर ज्यादा असर नहीं पड़ा दीखता है। बीते बुधवार को पहले फेज की 71 सीटों पर 54.01% वोटिंग हुई है। जबकि साल 2015 में इन्ही 71 सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव में 55.11% और 2010 में 50.67% वोटिंग दर्ज की गयी थी।देखकर यह भी प्रतीत होता है कि वर्तमान CM नीतीश कुमार एक बार फिर ‘ताश के इक्के’ साबित होते दिख रहे हैं।

क्या कहता है इस बार पहले फेज का वोटिंग डेटा:

अगर हम बीते शाम 6 बजे तक के वोटिंग डेटा को देखें तो हम पायेंगे कि:

  • सिर्फ 29 सीटों पर ही पिछली बार के मुकाबले इस बार वोटिंग बढ़ी है।
  • पिछली बार 71 में से 68 सीटों पर बढ़ी थी वोटिंग।
  • वोटिंग पर्सेंटेज के घटने-बढ़ने का असर सीधा पड़ता है बीजेपी पर।
  • लेकिन बिहार में JDU के साथ होने या न होने का भी होता है असर। 
  • इस बार नुक्सान की उम्मीद कम, क्योंकि अगर वोटिंग घटी है तो JDU भी साथ।
  • नीतीश के होने से होता है फायदा, 2015 में यह दिखा। 

नीतीश के ‘अभाव’ में क्या होते हैं समीकरण: 

चुनाव 2010 के परिपेक्ष्य में-  

2010 के चुनाव नीतीश कुमार की JDU+BJP ने दोनों नें 206 सीटें जीती थीं। लेकिन बात उन 71 सीटों जिन पर कल वोटिंग हुई है तो 2010 में JDU को 39 और BJP को 22 सीटें मिली थी, यानी कूल 61 सीटें मिली थी दोनों को।

चुनाव 2015 के परिपेक्ष्य में-

2015 के चुनाव को BJP और JDU अलग अलग लड़े थे। यहाँ BJP  उन 71 सीटों जिन पर कल वोटिंग हुई है में सिर्फ 13 सीटें ही जीत सकी थी। इसमें 5 सीटें ऐसी थीं, जो 2010 में भी उसने फ़तेह की थी। वहीं 8 सीटें ऐसी थीं, जिस पर उसको फायदा हुआ था। वहीं पिछले चुनाव में इन सभी 71 सीटों पर वोटिंग भी बढ़ी हुई थी। इसका यह असर देखने को मिला कि 2010 में BJP ने जो 22 सीटें जीती थीं, उनमें से सिर्फ 5 सीटें ही वह बचा सकी थीं और 17 सीटों का उसे नुक्सान हुआ था। ब

BJP का नुकसान तो RJD को हुआ था फायदा: 

अगर हम 2010 के मुकाबले 2015 के चुनाव देखें तो BJP ने जो 17 सीटें गंवाई थी, उनमे से सबसे ज्यादा 12 सीटें RJD के खाते में गयी थी। वहीं कांग्रेस को 4 और JDU को 1 सीट मिली थी जो BJP की गंवाई हुई सीट थी। लेकिन कहानी का दूसरा हिस्सा यह कहता है कि BJP ने जो 8 नई सीटें फ़तेह की थीं, उनमें से 5 सीटें पर साल 2010 में RJD के खाते में गयी थी। यहाँ BJP ने JDU से 2, LJP से 1 सीट छिनी थी। वहीं पिछला 2015 चुनाव BJP और LJP ने मिलकर लड़ा था।

इसलिए कहा जाता है कि राजनीति है ही ऐसा खेल ‘जिसमे ना काहु से दोस्ती, ना काहु से बैर’ होता है। बस सब जरूरतें होती हैं और होता है सीटों का समीकरण जो वक़्त-बेवक़्त बदलता रहता है।