पंजाब विधानसभा चुनाव के पूर्व नवजोत सिंह सिद्धू की सक्रियता बढ़ी, क्या बनाएंगे नई पार्टी?

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    चंडीगढ़: पिछले दो साल से पंजाब की राजनीति (Punjab Politics) से दूर रहे पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू (Navjoot Singh Sidhu) ने फिर से अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। उन्होंने अपनी ही सरकार (Punjab Government) के खिलाफ मोर्चा खोलने का संकेत दे दिया है। सिद्धू ने मंगलवार को बरगाड़ी गांव में सभा को संबोधित करते हुए कोटकपूरा व बहिबल कलां गोलीकांड की एसआईटी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की। इसके बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि, क्या वह अपनी नई पार्टी बनाएंगे?

    ज्ञात हो कि, कांग्रेस (Congress) में प्रवेश के साथ ही मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amrindar Singh) और सिद्धू (Navjoot Singh Siddhu) के बीच नहीं बनी है। इसी मनमुटाव के बाद जब अमरिंदर सिंह ने सिद्धू से शहर विकास मंत्रालय वापस ले लिया तो उन्होंने नाराज होकर कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद से ही  वह लगातार ट्वीट के माध्यम से पंजाब सरकार और कैप्टन पर निशाना साधते रहे हैं। 

    पटियाला में रैली कर पार्टी बनाने के दिए थे संकेत 

    पूर्व मंत्री ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री से  रिश्ते सुधारने के लिए दो बार बैठक की, लेकिन वह बेनतीजा निकली। इसके बाद उन्होंने कैप्टन के गढ़ माने जाने वाले पटियाला में रैली कर कांग्रेस से दूर होने के साफ़ संकेत दे दिया, इसी के साथ खुद की पार्टी बनाकर 2022 में होने वाले चुनाव में उतरने की तैयारी भी जताई है।  

    किसान आंदोलन से जोड़ने की कवायद 

    पंजाब की राजनीति में फिर से सक्रिय होने होने वाले सिद्धू किसान आंदोलन (Farmer Protest) से खुद को जोड़ने की कोशिश में लग गए हैं। इसी क्रम में वह लगातार भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) और केंद्र सरकार (Central Government) पर हमला कर रहे हैं। इसी के साथ कैप्टन सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठा रहे हैं। सिद्धू ने साफ़ संकेत दे दिया है कि, वह अमरिंदर सिंह सरकार का विरोध करना नहीं छोड़ने वाले हैं।

    शिरोमणि अकाली ने भी दिया समर्थन 

    सिद्धू के बगावत को अन्य राजनीतिक दलों ने भी अपना समर्थन देना शुरू कर दिया है। शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) (Shiromani Akali Dal (Democratic)) ने सिद्धू को नई पार्टी बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसी के नेताओं ने अपना पूरा समर्थन देने वादा किया है। वहीं अगले विधानसभा चुनाव में कोई बड़ी चुनौती नहीं होने की सोच रहे मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के लिए उनके साथी रहे सिद्धू बड़ी चुनौती बनकर सामने खड़े हो सकते  हैं।