चीनी मिलों को क्रसिंग परमिट ना दें

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  • शरद जोशी विचारमंच किसान संगठन की मांग
  • चीनी आयुक्तालय और संबधितों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की चेतावनी

पुणे. गन्ना खरीदारी की पहली अग्रिम एफआरपी दर भले ही तय कर दी गई हो, लेकिन गन्ना किसानों को एक भी गन्ने के बिल का भुगतान नहीं किया गया है. कुछ मिलों ने 2,000 रुपये का भुगतान किया है, कुछ ने 2,200 रुपये का भुगतान किया है और 50% ने एक रुपये का भुगतान नहीं किया है. जब कि 2850 रुपयें एफ आर पी तैय की गयी है.

यदि एफआरपी 14 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है, तो उस पर अतिरिक्त 15% ब्याज लिया जाता है. इस वजह से FRP ना देनेवाले चीनी मिलों को पेराई के लिए अनुमति ना दे. ऐसी मांग किसान संगठन ने शक्कर आयुक्त से की है.

शक्कर कमिश्नर को सौंपा ज्ञापन

कानून के प्रावधानों के अनुसार, अंतिम गन्ना बिल का भुगतान क्रशिंग सीज़न के अंत के बाद एक महीने के भीतर किया जाना चाहिए, अन्यथा इस पर 12% ब्याज का भुगतान करना अनिवार्य है. किसानों के मामले में यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. महाराष्ट्र के 40/50 चीनी कारखानों ने 15%  ब्याज और एफ आर पी नही दी है. औरंगाबाद कोर्ट ने  आदेश दिया है कि अतिदेय एफआरपी पर 15% ब्याज का भुगतान भी किया जाना चाहिए. यदि आदेश को सुगर कमिशनर ने खारिज कर दिया, तो हम शुगर कमिश्नर और संबंधितो  के खिलाफ एफआईआर दर्ज करेंगे और अवमानना याचिका भी दायर करेंगे.  किसान संघ़टन के अध्यक्ष विठ्ठल पवार राजे की ओर  से चेतावनी जारी की गई है.