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    पुणे. केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय कर्मियों के लिए 1 जनवरी 2016 से 7वां वेतन (7th Pay Commission) लागू किया गया है। इसके अनुसार, इन कर्मियों को वेतन (Wages) अदा किया जाता है। इसी तर्ज पर राज्य सरकार ने भी अपने कर्मियों के लिए आयोग लागू किया है। पुणे महानगरपालिका (Pune Municipal Corporation) पर भी यह आयोग लागू होता है। पीएमसी कर्मियों के वेतन श्रेणी में सुधार करने के सरकार ने कहा था, लेकिन महानगरपालिका कर्मियों के ग्रेड पे (Grade Pay) की वजह से यह मामला अटका हुआ था।  

    हाल ही में सत्ताधारी पार्टी ने ऑनलाइन सभा लेकर चर्चा की थी।  इस पर लगभग 41 उप सुझाव दिए थे। जिसमें से 22 मंजूर किए गए। आम सभा ने मंजूरी देकर 2 माह होने के बावजूद भी अभी तक प्रस्ताव राज्य सरकार के पास नहीं गया है।  हाल ही नगरसचिव विभाग द्वारा प्रस्ताव कमिश्नर के पास भेजा गया है। कमिश्नर ने इसे सामान्य प्रशासन व लेखा विभाग के पास भेजा है। लेकिन दोनों विभाग जिम्मेदारी लेने तैयार नहीं है। एक दूसरे पर जिम्मेदारी ढकेल रहे है। इससे सरकार के पास प्रस्ताव भेजने में देरी हो रही है। इससे मनपा कर्मी परेशान है। 

    22 उपसुझावो को दी है मंजूरी 

    पीएमसी कर्मियों के ग्रेड पे की वजह से यह मामला अटका हुआ था। नतीजा प्रशासन द्वारा यह प्रस्ताव नहीं रखा जा रहा था। कमिश्नर ने सुवर्णमध्य ग्रेड पे व वेतनबैंड का सूत्र रखकर सुधारित वेतनश्रेणी लागू की है। इससे पीएमसी कर्मियों का ज्यादा नुकसान नहीं होनेवाला है। प्रस्ताव के अनुसार, राज्य सरकार के तौर पर ग्रेड पे देते समय यह सूत्र लागू किया है। साथ 2006 से किसी भी कर्मी के वेतन बकाया की वसूली नहीं की जाएगी। इससे पीएमसी कर्मियों को राहत मिल गई है। इस बीच 1 जनवरी 2016 से अब तक का बकाया का वेतन देने के लिए 585 करोड़ की लागत आएगी। यह राशि विभिन्न 5 हफ्तों में दी जाएगी। साथ ही वेतन लागू होने के बाद मनपा पर प्रति माह 17 करोड़ का बोझ आएगा। इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए नैमित्तिक समिति के समक्ष रखा गया था। कई दिनों से इसे मंजूरी नहीं मिल रही थी। आखिरकार मूल प्रस्ताव को 20 उपसुझाव देकर हाल ही में नैमित्तिक समिति द्वारा इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। उसके बाद स्थायी समिति ने भी इसे मंजूरी दी है।

    कुल 41 उपसुझाव आए थे

    इस बीच इसके लिए जो उपसुझाव दिय गए है, वह वैध नहीं है। ऐसा प्रशासन का मानना है। इस वजह से सरकार के पास ये उपसुझाव टिक नहीं पाएंगे। सरकार प्रशासन का प्रस्ताव मंजूरी करेगी। इस बीच इस पर आम सभा में इस पर फैसला होने के बाद उसे राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा। लेकिन आम सभा ना होने के चलते यह प्रस्ताव लंबित पड़ा हुआ था। आम सभा लेने सरकार मंजूरी नहीं दे रही है। इससे कर्मी परेशान हो रहे थे। हाल ही में सत्ताधारी पार्टी ने ऑनलाइन सभा लेकर इस पर चर्चा करने का प्रयास किया था। लेकिन नगरसेवकों ने उप सुझावों की बारिश की। कुल 41 उपसुझाव आए थे। उसमें से 22 मंजूर किए तो 19 विसंगत होने के कारण ख़ारिज किया। इसे 10 मार्च को मंजूरी दी है। 

    लेखा व सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा प्रस्ताव 

    महापालिका प्रशासन की माने तो आम सभा की मंजूरी मिलने के बाद इस पर महापौर के हस्ताक्षर होते है। बाद में यह प्रस्ताव नगरसचिव के पास आता है। नगरसचिव कार्यालय द्वारा उसे मनपा कमिश्नर के पास भेजा जाता है। कमिश्नर उसे लेखा अधिकारी व सामान्य प्रशासन विभाग के पास भेजते हैं। बाद में फिर प्रस्ताव कमिश्नर के पास जाता है। उसके बाद कमिश्नर सरकार के पास भेजते है, लेकिन 2 माह के बाद भी यह प्रस्ताव मनपा में ही रुका हुआ है क्योंकि ये दोनों विभाग इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है। कमिश्नर ने यह प्रस्ताव दोनों विभाग के पास भेजा। इसकी मूल प्रति सामान्य प्रशासन को भेजी। सामान्य प्रशासन ने सीधा यह प्रस्ताव वित्त विभाग के पास भेजा। वित्त विभाग ने तत्काल सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र भेजा कि आप को ही यह प्रस्ताव कमिश्नर के पास भेजना होगा। इस पर सामान्य प्रशासन ने पहले सभी आयोग की जानकारी देते हुए कहा कि वेतन आयोग की पूरी जिम्मेदारी वित्त विभाग की होती है। अब तक के सभी आयोगों को वित्त विभाग ने ही भेजा है। इसपर वित्त विभाग का कहना है कि उपसुझावों चलते हमने इसे सामान्य प्रशासन को भेजा था। यह हमारे अकेले विभाग का काम नहीं है। आख़िरकार अब यह तय किया गया है कि वित्त, सामान्य प्रशासन व कामगार सलाहकार समन्वय कर इसका हल करेंगे। 

    वेतन आयोग का प्रस्ताव अब तक वित्त विभाग द्वारा मंजूर किया जा रहा है क्योंकि वेतन से सम्बंधित सभी फैसले उनके ही होते है। हमारा काम सिर्फ प्रमोशन के बारे में होता है। उस पर हम सलाह देंगे। लेकिन पूरा प्रस्ताव वित्त विभाग को ही कमिश्नर के पास भेजना होगा।

    -सुनील इंदलकर, उपायुक्त, सामान्य प्रशासन विभाग

    इस वेतन आयोग में कई सारे उपसुझाव दिए गए है। इसमें कौन से सही है, यह देखना सामान्य प्रशासन का काम है। हम अकेले यह नहीं कर सकते। इस वजह से हमने कमिश्नर से मांग की है कि वित्त, सामान्य प्रशासन व कामगार सलाहकार को समन्वय करने के निर्देश दिए जाए। कमिश्नर के आदेशानुसार आगे की कार्रवाई होगी।

    -उल्का कलसकर, वित्त व लेखा अधिकारी

    प्रशासन विभिन्न कारणों से अनुमोदन के लिए प्रस्ताव भेजने में देरी कर रहा है। प्रशासन की इस काम से पुणे नगर निगम के सभी स्तरों के कर्मचारियों में तीव्र रोष का माहौल बना है। पुणे नगर निगम के सभी कर्मचारी पिछले साल कोविड महामारी के दौरान दिन-रात काम कर रहे हैं। 50 से अधिक कर्मचारियों की इस बीमारी से मौत हो गई है। पुणे म्युनिसिपल वर्कर्स यूनियन (मान्यता प्राप्त) और उसके सहयोगियों की ओर से अपील की गई है कि महापौर और अन्य जनप्रतिनिधियों को हस्तक्षेप करना चाहिए और प्रशासन को 7वें वेतन आयोग के प्रस्ताव को अनुमोदित करने के लिए मजबूर करना चाहिए।

    -उदय भट, अध्यक्ष, मनपा कामगार यूनियन