Seventh Pay Commission implemented for teachers, Municipal Commissioner approved

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    शैलेन्द्र सिंह

    पुणे. पुणे महानगरपालिका (Pune Municipal Corporation) की जनरल बॉडी (General Body) ने अभी तक कोंढवा प्रयोगशाला (Kondhwa Laboratory) के लीज एग्रीमेंट (lease agreement) को मंजूरी नहीं दी है। पार्षदों की इसी निष्क्रियता के चलते पुणे नगर निगम को पिछले 2 सालों से 60 लाख रुपये सालाना नुकसान हो रहा है।

    वर्ष 2011 में पुणे महानगरपालिका ने कोंढवा में खाद्य पदार्थों के परीक्षण के लिए एक प्रयोगशाला स्थापित की। वर्ष 2014 में इसके लिए 7 करोड़ 70 लाख रुपये के अत्याधुनिक उपकरण भी खरीदे गए।  इस बीच, फूड हाइजीन एंड हेल्थ लैब के साथ पांच साल का समझौता किया गया। जिसमें कहा गया था कि पीएमसी प्रयोगशाला नहीं चला सकती है। इस समझौते के मुताबिक पुणे महानगरपालिका  ने फूड हाइजीन एंड हेल्थ लैब को सालाना 52 लाख 80 हजार रुपये देने का फैसला किया। समझौते में प्रति वर्ष 15 फीसदी के वृद्धि का भी प्रस्ताव है।

    समझौते के मुताबिक, पुणे महानगरपालिका ने संगठन को 3 करोड़ 56 लाख रुपये दिए और बिजली बिलों के साथ-साथ रसायन और प्रयोगशाला के लिए आवश्यक अन्य चीजों के लिए भी 60 लाख रुपये खर्च किए है। इन सभी खर्चों को छोड़कर यह दावा किया गया था कि पीएमसी को हर साल कम से कम 50 लाख रुपये की सालाना आमदनी होगी।

    सहज नागरिक मंच के अध्यक्ष विवेक वेलंकर ने खुलासा किया है कि प्रयोगशाला ने पिछले पांच वर्षों में केवल 12 लाख रुपये कमाए है। यह मामला तीन साल पहले ही सामने आ चुका था, इसके अलावा कोरोना काल में निगम के आय के स्रोत सीमित होने के बावजूद महानगरपालिका इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। इसलिए एनजीओ ने मांग की है कि प्रस्ताव को स्वीकृति देकर पुणे महानगरपालिका को इस बड़े नुकसान से बचाया जाए।