सक्षम के साथ-साथ अपडेट हों शिक्षक : अदिति तटकरे

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पुणे. छात्रों के निर्माण में शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.  इसलिए उनको सक्षम और  अपडेट करने की आवश्यकता है. कोरोना ने सब कुछ  ‘वर्चुअल’ रूप में परिवर्तित कर दिया है. ऐसे समय में, ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों को नए माध्यमों को अपनाने में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. कहीं पे इंटरनेट की कमी है, तो कई छात्रों के पास स्मार्ट फोन नहीं है, इसलिए ऑनलाइन शिक्षा प्रभावी रूप से नहीं दी जा सकती है. इसलिए, बुनियादी सुविधाओं को सक्षम करने के साथ-साथ शिक्षकों को टेक्नोलॉजी  के अनुकूल बनाने के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है. सुदर्शन ने इस काम का बीड़ा उठाया है, जो सराहनीय है. इससे निश्चित रूप से इन शिक्षकों को दिशा मिलेगी. यह विचार राज्यमंत्री तथा रायगढ़ की पालकमंत्री अदिति तटकरे ने प्रकट किए.  

बदलते शिक्षा स्वरूप और तकनीक पर मंथन

कोरोना की स्थिति में शिक्षा विधियों को बदलते समय जिला परिषद के स्कूलों में शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के इरादे से सुदर्शन केमिकल्स इंडस्ट्रीज और सुदर्शन सीएसआर फाऊंडेशन और रायगढ़ जिला परिषद की ओर से ‘बदलते शिक्षा स्वरूप और तकनीक ‘ विषय पर आयोजित ऑनलाइन वेबिनार में वे बोल रहीं थीं.

वर्चुअल’ रूप में भी छात्र-शिक्षक की बातचीत अहम

महाराष्ट्र राज्य परीक्षा परिषद के सह आयुक्त अनिल गुंजाल ने  कहा कि कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद हैं, लेकिन ऑनलाइन शिक्षा जारी है. छात्र और शिक्षकों में प्रत्यक्ष रूप से संवाद नहीं हो पा रहा है. लेकिन, शिक्षक जो ज्ञान दे रहे हैं, वह छात्र तक पहुंचना चाहिए. इसके लिए, आज की बदलती टेक्नोलॉजी पर आधारित शिक्षा में भी दोनों के बीच संवाद बहुत महत्वपूर्ण है. तभी छात्रों का अध्ययन और शिक्षकों का अध्यापन प्रभावी होगा.  गुंजाल ने कहा कि शिक्षकों को हर छात्र और उनके माता पिता के साथ के संपर्क में रहना चाहिए.

उनसे बातचीत करनी चाहिए. छात्र किस स्थिति में है यह जानकारी होना चाहिए, भले ही वर्तमान स्थिति नकारात्मक हो, हमें इससे बाहर निकलने की सकारात्मक होने की कोशिश करनी चाहिए. छात्र पहले की तरह स्कूल आने का इंतजार कर रहे हैं. पाठ्यपुस्तकें  परिपूर्ण हैं, इसलिए स्वाध्याय के माध्यम से शिक्षा प्राप्त की जा सकती है. शिक्षक को छात्रों से लिखना, पढ़ना और अंकगणित अच्छे करने चाहिए. छात्रों को जातिवाद, भ्रष्टाचार और अंधविश्वास से दूर रखकर अच्छे इंसान के रूप में जीना सिखाना जाना चाहिए. छात्रों को खुशी से जीना सिखाएं. तकनीकी चीजों का उपयोग कर के  ‘टेकडी स्कूल’जैसे अलग प्रयोगों के माध्यम से छात्रों तक पहुंचें. इस लिए स्वयम भी अध्ययन करना होगा.

छात्रों को बनाना होगा सर्जनशील

पुणे के सुपरमाईंड फाउंडेशन की संस्थापिका मंजुषा वैद्य ने  कहा कि कोरोना ने आपको ऑनलाइन पर आने के लिए मजबूर किया है. लेकिन यह परिवर्तन की शुरूआत हो सकती है,  स्थित्यंतर के लिए पूरक और प्रगति के लिए अनुकूल है. नये बदलाव, टेक्नोलॉजी की तरफ देखने का दृष्टीकोण, क्षमता का विकास छात्र-शिक्षक इन दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. छात्र सीखने के लिए टेक्नोलॉजी का अच्छा उपयोग करते हैं. यह एक तथ्य है कि कुछ क्षेत्रों में अभी भी मोबाइल, नेटवर्क, इंटरनेट तक पहुंचने में मुश्किलें हो रही है. लेकिन, कृतिशील, ज्ञानरचना पर आधारित शिक्षा प्रणाली  का उपयोग करने के लिए तकनीक उपयुक्त है. आज के शिक्षक को अध्ययन और अध्यापन ऐसी दोनो भूमिका निभानी पड़ रही है. छात्रों को सर्जनशील, चौकस बनाना पड़ेगा. इस समय मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. किरण पाटिल, सुदर्शन केमिकल्स सामाजिक जिम्मेदारी और मानव संसाधन विभाग की प्रमुख शिवालिका पाटिल, संयोजिका माधुरी सणस आदी उपस्थित थे.