Ramadan
File Photo

    Loading

    – सीमा कुमारी

    बुधवार, 14 अप्रैल से ‘रमज़ान’ का पवित्र महीना शुरू हो रहा है। बीते सोमवार चांद दिखने की उम्मीद थी, लेकिन चांद नजर नहीं आया। इसके बाद लखनऊ की मरकजी चांद कमेटी ‘फरंगी महल’ ने ऐलान किया कि 14 अप्रैल से ‘रमज़ान’ का पाक महीना शुरू होगा।

    इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार यह महीना “अल्लाह से इबादत” का महीना होता है। मान्यताएं हैं कि रमजान के अवसर पर दिल से अल्लाह की बंदगी करने वाले हर इंसान की ख्वाहिश पूरी होती है।

    यह इस्लामी कैलेंडर का 9वां और पवित्र महीना होता है। इस्लाम धर्म को मानने वाले दुनिया भर के मुसलमान ‘रोज़े’ के इस महीने को बलिदान का महीना मानते हैं। हालांकि, वे धार्मिक लोग जिनकी इस दौरान तबीयत खराब होती है, उम्र अधिक होती है, गर्भावस्था के होने तथा अन्य परेशानियों की वजह से रोज़े रखने में जो असमर्थ हैं, उन्हें रोज़े न रखने की अनुमति होती है।

    ‘रमज़ान’ की शुरुआत चांद दिखने के साथ होती है। इस्लामिक स्कॉलर्स द्वारा बताया गया कि बीते सोमवार रात को चांद दिखने की उम्मीद थी, लेकिन चांद नजर नहीं आया। जिसके बाद लखनऊ की ‘मरकजी चांद कमेटी फरंगी महल’ ने ऐलान किया है कि 14 अप्रैल बुधवार से रमज़ान का पाक महीना शुरू हो रहा है। फरंगी महल के मौलाना खालिद रशीद (Maulana Khalid Rashid) ने कहा कि 14 अप्रैल से रमज़ान शुरू होगा। आमतौर पर चांद दिखने के हिसाब से रमज़ान का पाक महीना कभी 29 तो कभी 30 दिन का होता है।

    रमज़ान के महीने में रोजेदार रोज़े को खजूर खाकर तोड़ते हैं, क्योंकि इस्लामिक मान्यताओं से पता चलता है कि अल्लाह के दूत को अपना रोज़ा खजूर खाकर खोलने को कहा गया था। और तब से ही रोज़ेदार इफ्तार एवं सेहरी में खजूर खाते हैं।

    इसके अलावा खजूर खाना सेहत के लिए भी लाभकारी होता है। विज्ञान के अनुसार, खजूर पेट की दिक्कतों, लीवर एवं अन्य कमजोरियों को ठीक करने में मदद करता है, इसलिए रोज़ेदार द्वारा खजूर का सेवन किया जाता है। रमज़ान का यह महीना ‘ईद-उल-फितर’ से समाप्त होता है, जिसे मीठी ईद भी कहा जाता है।

    क्यों पाक माना जाता है ‘रमज़ान’ का महीना?

    इस्लाम धर्म के मानने वालों के लिए रमज़ान वह महीना है, जिसमें करीब 1,400 साल पहले पैगंबर मोहम्मद (Prophet Mohammed) के आगे इस्लाम की पाक किताब ‘कुरान’) की पहली ‘आयत’ नाज़िल (उतरी) थी। इस पूरे महीने मुसलमान ‘फ़ज्र की नमाज़’ (Fazar Prayer Namaz) के साथ रोज़े की शुरुआत करते हैं और शाम ढलने के बाद की नमाज़ के साथ अपना रोज़ा खोलते हैं।

    इस्लाम धर्म में नमाज़, दान, आस्था, मक्का की हज यात्रा करने के साथ रोज़ा रखने को धर्म के पालन में पांचवां स्तंभ मानते हैं। कई मुस्लिम देशों में ‘रमज़ान’ (Ramadan) के दिनों में वर्किंग आवर्स कम कर दिए जाते हैं। ‘रमज़ान’ के पाक महीने में लोग एक-दूसरे को ‘रमजान मुबारक’ (Ramzan Mubarak) या ‘रमज़ान करीम’ (Ramadan Kareem) कह कर अभिवादन करते हैं और सभी के लिए शुभ होने की कामना करते हैं।