APARA-EKADESHI

    Loading

    सीमा कुमारी

    सनातन हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। ‘एकादशी व्रत’’ महीने में दो बार रखा जाता है। एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में। हिन्दू धर्म में ‘एकादशी व्रत’ विशेष महत्व रखता है। इस साल ‘अपरा एकादशी व्रत’ (Apara Ekadashi) 6 जून, यानी अगले रविवार को है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, ‘अपरा एकादशी’ का व्रत हर साल ज्येष्ठ महीने  के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है।  धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ‘अपरा एकादशी’ का अर्थ है- ‘अपार पुण्य’। अर्थात, इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से उपासना करने एवं व्रत रखने से व्यक्ति को अपार पुण्य मिलता है और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन तामसिक भोजन और चावल नहीं खाना चाहिए। कहा जाता है इस दिन ये चीज़ें खाने मन में अशुद्धता आती है। मान्यता है कि पांडवों ने महाभारत काल में ‘अपरा एकादशी’ की महिमा भगवान श्रीकृष्ण के मुख से सुनी थी। श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन में इस व्रत को करके महाभारत युद्ध में विजय हासिल की थी।

      शुभ मुहूर्त :

    एकादशी तिथि का आरंभ: 05 जून 2021 को सुबह 04:07 से

    एकादशी तिथि का समापन:

    06 जून 2021 को सुबह 06:19 बजे

    एकादशी व्रत पारण

    समय:

    7 जून 2021 को सुबह 05:12 से 07:59 तक.

     पूजा विधि-

    मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं और हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प करें। मंदिर में देवी-देवताओं को स्नान कराएं और घर के मंदिर में पूजा करने से पहले एक वेदी बनाकर उस पर 7 धान (उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा) रखें। वेदी के ऊपर एक कलश की स्‍थापना करें और उसमें आम या अशोक के 5 पत्ते लगाएं। अब वेदी पर भगवान विष्‍णु की मूर्ति या तस्‍वीर रखें। इसके बाद भगवान विष्‍णु को पीले फूल, ऋतुफल और तुलसी दल समर्पित करें।  फिर धूप-दीप से विष्‍णु की आरती उतारें।  शाम के समय भगवान विष्‍णु की आरती उतारने के बाद फलाहार ग्रहण करें। रात्रि के समय सोए नहीं बल्‍कि भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।अगले दिन सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और यथा-शक्ति दान-दक्षिणा देकर विदा करें।इसके बाद खुद भी भोजन कर व्रत का पारण करें। और, इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करना चाहिए।

    ‘अपरा एकादशी’ का महत्व :

    धार्मिक मान्यता के अनुसार, ‘अपरा एकादशी’ अपार पुण्य फल प्रदान करने वाली पावन तिथि है। इस तिथि के दिन व्रत करने से व्यक्ति को उन सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है, जिसके लिए उसे प्रेत योनि में जाना पड़ सकता है। ‘पद्मपुराण’ में बताया गया है कि इस एकादशी के व्रत से व्यक्ति को वर्तमान जीवन में चली आ रही आर्थिक परेशानियों से राहत मिलती है। अगले जन्म में व्यक्ति धनवान कुल में जन्म लेता है और अपार धन का उपभोग करता है। शास्त्रों में बताया गया है कि परनिंदा, झूठ, ठगी, छल ऐसे पाप हैं, जिनके कारण व्यक्ति को नर्क में जाना पड़ता है। इस एकादशी के व्रत से इन पापों के प्रभाव में कमी आती है और व्यक्ति नर्क की यातना भोगने से बच जाता है।ऐसे में यह दिन भगवान विष्‍णु को मानने वाले भक्तों के लिए बेहद शुभ एवं मंगलमय होता हैं |