खालिस्तानियों की हत्या का मामला, पश्चिमी देशों के भारत पर बेतुके आरोप

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अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया व पाकिस्तान ने आरोप लगाए हैं कि भारत की इंटेलिजेंस एजेंसी रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) ने उनके देश में टारगेट हत्याएं की हैं और अलगाववादियों की जासूसी की है। भारत सरकार ने इन आरोपों का पुरजोर खंडन किया है। सवाल यह है कि क्या इन आरोपों से भारत और इन देशों के बीच डिप्लोमेटिक संबंध प्रभावित होंगे? अप्रैल के अंतिम और मई के पहले सप्ताह में इन देशों से यह रिपोर्ट आनी शुरू हुईं कि रॉ दुनियाभर में भारतीय मूल के खालिस्तानी अलगाववादियों को तथाकथित रूप से निशाना बना रही है और उनकी हत्याएं करा रही है।

‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने दावा किया कि अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि रॉ के पूर्व प्रमुख सामंत गोयल ने अमेरिका में खालिस्तानी एक्टिविस्ट गुरपतवंत सिंह पन्नू के हत्या ऑपरेशन को मंजूरी दी थी। पन्नू कनाडा का नागरिक है और भारत की मोस्टवांटेड यूएपीए (अवैध गतिविधियां रोकथाम कानून) आतंकी सूची में शामिल है। ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने एक सुरक्षा अधिकारी विक्रम यादव का नाम भी जाहिर किया, जिसके बारे में माना जाता है कि उस समय वह रॉ में था। अमेरिकी अधिकारियों ने चर्चा की थी कि क्या विक्रम यादव को इस केस में आरोपी बनाया जाए क्योंकि उसने भारतीय व्यापारी निखिल गुप्ता को आदेश दिया था कि वह पन्नू की हत्या के लिए एक हिटमैन की व्यवस्था करे ? निखिल गुप्ता ने यह भी जानने की कोशिश की थी कि क्या कनाडा में खालिस्तानी एक्टिविस्ट को भी ‘हिट’ करना है? यह जानकारी लेने के कुछ दिन बाद ही जून 2023 में टोरंटो में कनाडा के नागरिक हरदीपसिंह निज्जर की हत्या हो गई थी। गत 3 मई को रॉयल कनाडियन माउंटेड पुलिस ने 3 भारतीय नागरिकों को गिरफ्तार किया। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने बयान में भारतीय एजेंसीज के लिंक की बात कही थी और उन्होंने ओटावा में भारतीय हाई कमीशन के इंटेलिजेंस स्टेशन प्रमुख को निष्कासित करने का फैसला भी लिया था। इससे दिल्ली व ओटावा के बीच जबरदस्त तनाव व टकराव उत्पन्न हो गया था। भारत ने कनाडा के डिप्लोमेट्स को भी बाहर का रास्ता दिखाया था।

पाकिस्तान ने निकाली भड़ास

पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय बेतुका आरोप लगाता रहता है कि रॉ उसके यहां हत्याएं कराता है। इंग्लैंड ने भी हाल ही में इस आरोप को दोहराया है कि भारत के इंटेलिजेंस एजेंट्स ने खालिस्तानी अलगाववादी नेता अवतारसिंह खानडा का पीछा किया व उसे धमकी दी। अवतार का पिछले साल जून में निधन हो गया था। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि न्यायबाह्य हत्याएं सरकारी नीति नहीं है। उसने ‘वाशिंगटन पोस्ट’ के लेख को अनुचित व निराधार बताया है।

खुद एक्शन क्यों नहीं लिया

सवाल यह है कि जब आग ही नहीं है तो हर तरफ से धुआं क्यों उठ रहा है? गुजरात की चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आज भारत घर में घुसकर मारता है।”

वह शायद पाकिस्तान पर 2016 व 2019 की स्ट्राइक्स के संदर्भ में कह रहे थे। दिल्ली का बुनियादी सवाल है कि पन्नू व निज्जर जैसे खालिस्तानियों के विरुद्ध अमेरिका, कनाडा व इंग्लैंड ने स्वयं कार्यवाही क्यों नहीं की? इस किस्म के लोगों पर भारतीय डिप्लोमेट्स के खिलाफ हमले आयोजित करने व उकसाने के गंभीर आरोप हैं। 1980 के दशक में भी कनाडा सरकार ने खालिस्तानी तलविंदर सिंह परमार के खिलाफ कार्यवाही नहीं की थी, जिससे उसे 1985 में एयर इंडिया के प्लेन ‘कनिष्क’ को बम से उड़ाने का अवसर मिल गया, जिसमें 329 व्यक्तियों की जान गई थी।

परमार को 1992 में पंजाब में पुलिस ने मार गिराया था। पाकिस्तान और अब कनाडा को छोड़कर भारत के अन्य सभी देशों से संबंध अच्छे हैं। मुख्यतः खालिस्तानी मुद्दे पर तनाव के कारण 1973 के बाद से कोई भारतीय प्रधानमंत्री कनाडा के द्विपक्षीय दौरे पर नहीं गया है। अमेरिका, इंग्लैंड व ऑस्ट्रेलिया जांच जारी रखे हुए हैं और भारत से भी जांच का आग्रह कर रहे हैं लेकिन इस सबसे संबंधों को प्रभावित नहीं होने दे रहे हैं। अमेरिका ने 3 मांगें रखी हैं भारत सरकार पन्नू केस की गहन जांच करे और अगर कुछ गलत हुआ है तो उसे सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करे, इस प्रकार के ऑपरेशन को दोहराए नहीं। और जो जिम्मेदार हैं, उन पर कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।