After mamata banerjee, now chandrashekhar rao initiative of opposition unity

बीजेपी का संगठन जड़ों से सुदृढ़ है.

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    राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी जिस मुकाम पर है, उसे हिला पाना आसान नहीं है. लगभग साढ़े 7 वर्षों से केंद्र की सत्ता में रहने के अलावा अपने शासित राज्यों में भी वह मजबूत है. बीजेपी का संगठन जड़ों से सुदृढ़ है. बूथ स्तर से उसके कार्यकर्ता सक्रिय हैं. देश को सर्वाधिक प्रधानमंत्री देनेवाले उत्तरप्रदेश में उसका वर्चस्व है. स्वयं प्रधानमंत्री मोदी यूपी के वाराणसी क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व करते हैं. इसके बावजूद विपक्ष चाहता है कि देश की राजनीति में बदलाव आए और 2024 में उन पार्टियों को सत्ता मिले जो इस समय संसद में विपक्ष में बैठने को विवश हैं. कांग्रेस के कमजोर होने और क्षेत्रीय पार्टियों के अपने राज्यों में मजबूत होने से सत्ता समीकरण बदले हैं. पहले तो टीएमसी नेता व बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी को अपने राज्य के विधानसभा चुनाव में मात देकर दिखा दिया कि बीजेपी का बढ़ता रथ रोकने की सामर्थ्य उनमें है. राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में उतरने की संभावनाओं को ममता ने नकारा नहीं है.

    गठबंधन की शुरुआत

    अब तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने भी मुंबई आकर शिवसेना नेता व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से चर्चा की. दोनों ने मिलकर प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि देश की राजनीति को बदलाव की जरूरत है. चंद्रशेखर राव ने कहा कि केंद्र सरकार की वजह से देश का माहौल बिगड़ रहा है तथा सत्ता परिवर्तन कर मजबूत भारत बनाना जरूरी है. उद्धव ठाकरे के साथ हमारी कई मुद्दों पर सहमति है. महाराष्ट्र से शुरू होने वाला मोर्चा सफल होता है तो इसके पीछे छत्रपति शिवाजी महाराज और शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की प्रेरणा है. महाराष्ट्र और तेलंगाना की सीमा 1,000 किलोमीटर तक जुड़ी हुई है. दोनों राज्यों में अच्छे संबंध हैं. दोनों मुख्यमंत्रियों की बातों से यह स्पष्ट हो गया कि केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ गठबंधन की शुरुआत हो चुकी है लेकिन यह साफ नहीं हुआ कि इस गठबंधन में कांग्रेस शामिल है या नहीं! देश की क्षेत्रीय पार्टियों में शिवसेना, टीआरएस, बीजद, टीएमसी, डीएमके आदि हैं जो कि अपने-अपने राज्यों में प्रभाव रखती हैं.

    विधानसभा चुनावों में पता चलेगा कौन कितने पानी में

    यद्यपि अभी 2024 दूर है लेकिन चंद्रशेखर राव की उद्धव ठाकरे और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से भेंट यह दर्शाती है कि क्षेत्रीय पार्टियां मिलकर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए प्रयासरत हो गई हैं. इस समय भी 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में यूपी में सपा, पंजाब में आम आदमी पार्टी, और मणिपुर में एनपीपी बीजेपी व कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों को टक्कर दे रही हैं. यदि विपक्षी पार्टियां विधानसभा चुनाव में सफल होती हैं तो माना जाएगा कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी चुनौती दे सकती हैं. कुछ राज्यों की जनता राज्य में क्षेत्रीय पार्टी तथा राष्ट्रीय स्तर पर मोदी को देखना चाहती है. बीजेपी को 2019 के विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र, दिल्ली, बंगाल, हरियाणा और झारखंड में झटके खाने पड़े. हरियाणा में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी का साथ मिलने से बीजेपी सरकार बना पाई. 2024 के पहले भी बीजेपी के सामने चुनौतियां हैं.

    BJP की लोकप्रियता कसौटी पर

    इस वर्ष के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होंगे. इसके बाद 2023 में मध्यप्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा के चुनाव हैं. इन चुनावों से राष्ट्रीय स्तर पर जैसा माहौल बनेगा, उस पर बीजेपी की लोकप्रियता मापी जाएगी. यह भी देखना होगा कि क्या कांग्रेस अपना खोया हुआ आधार वापस पा सकती है? क्षेत्रीय पार्टियों का गठबंधन कांग्रेस को अलग रखकर बना तो कितना सफल हो पाएगा? ऐसे अनेक सवालों के उत्तर भविष्य के गर्भ में हैं. कांग्रेस को अलग रखकर केंद्र में बनीं विपक्षी पार्टियों की सरकारें कभी टिकाऊ नहीं रहीं. चरणसिंह, चंद्रशेखर, देवगौड़ा, गुजराल की सरकारें इसकी मिसाल हैं.