Ahmedabad serial blasts case: 38 sentenced to death, 11 get life term, 28 freed

देश के विभिन्न नगरों में लगातार 3 वर्षों तक धमाकों का सिलसिला चलता रहा.

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    इंसाफ में देर है, अंधेर नहीं है. आखिर 13 वर्ष बाद अहमदाबाद ब्लास्ट के दोषियों को उनकी करनी की सजा सुनाई गई. देश के इतिहास में आजादी के बाद से अबतक की यह सबसे बड़ी सजा है. इसके पहले राजीव गांधी हत्याकांड में एक साथ 26 लोगों को सजा सुनाई गई थी. अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को किए गए बम धमाकों से 56 लोगों की मौत हुई थी व 200 घायल हुए थे. इस भयानक अपराध के लिए विशेष अदालत ने 49 गुनहगारों को सजा सुनाई इनमें से 38 को प्राणदंड तथा 11 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. ये बम ब्लास्ट आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन और प्रतिबंधित संगठन स्टुडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से जुड़े लोगों ने किए थे. अहमदाबाद में 70 मिनट के दौरान 21 बम धमाकों ने शहरवासियों को थर्रा कर रख दिया था. विस्फोट के कुछ मिनट पहले चैनलों और मीडिया को एक ईमेल मिला था जिसमें इंडियन मुजाहिदीन ने धमाकों की चेतावनी दी थी.

    अभियोजन के अनुसार इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों का जवाब देने के लिए ये धमाके किए थे. ये आतंकी लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकार का तख्ता पलटना चाहते थे. उनके निशाने पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी तथा राज्य के मंत्री अमित शाह, आनंदीबेन पटेल और नितिन पटेल थे. अभियोजन ने दलील दी कि राष्ट्रविरोधी करतूतें करनेवाले ये अभियुक्त देश की जेलों में रखे जाने के काबिल भी नहीं है. यदि इन्हें समाज में रहने दिया गया तो यह किसी आदमखोर तेंदुए को खुला छोड़ने के समान होगा.

    हमलों का लंबा सिलसिला

    देश के विभिन्न नगरों में लगातार 3 वर्षों तक धमाकों का सिलसिला चलता रहा. 2006 में 7 मार्च को वाराणसी, 11 जुलाई को मुंबई व 8 सितंबर को मालेगांव में ब्लास्ट किए गए. 2007 में 18 फरवरी को समझौता एक्सप्रेस, 18 मई को मक्का मस्जिद हैदराबाद, 25 अगस्त को लुंबिनी पार्क हैदराबाद, 11 अक्टूबर को अजमेर दरगाह, 14 अक्टूबर लुधियाना, 24 नवंबर यूपी की अदालतों में विस्फोट हुए. इसके बाद 2008 में 1 जनवरी को रायपुर सीआरपीएफ कैम्प, 13 मई को जयपुर, 25 जुलाई को बंगलुरू, 26 जुलाई को अहमदाबाद, 13 सितंबर को दिल्ली के बाजार में, 27 सितंबर को दिल्ली के मेहरौली में, 29 सितंबर को मालेगांव में और उसके बाद 26 नवंबर को मुंबई में भीषण आतंकी हमला हुआ.

    28 आरोपी बरी, 1 बना सरकारी गवाह

    अदालत ने 49 आरोपियों को यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत दोषी करार दिया तथा 28 आरोपी सबूतों के अभाव में बरी हो गए. गुजरात हाईकोर्ट ने 1 आरोपी अयाज सैयद को सरकारी गवाह के रूप में जांच में मदद करने के लिए पहले ही जून 2020 में बरी कर दिया था. सैयद पर साइकिलों में बम लगाने तथा सरखेज के पास एक बस को धमाके से उड़ाने का आरोप था. उसने मुखबिर बन जाने की दलील देकर क्षमादान की प्रार्थना की थी. अहमदाबाद ब्लास्ट के अभियुक्त अहमदाबाद, मुंबई, दिल्ली बंगलुरू, केरल, जयपुर और गया की जेलों में रखे गए थे. सितंबर 2013 में बीजापुर के रहनेवाले अभियुक्त मोहम्मद समी वागेवाडी ने शिक्षा के अधिकार की मांग की. वह बेलगांव विश्वविद्यालय का आर्किटेक्चर का छात्र था और परीक्षा देना चाहता था. उसे रिहा कर दिया गया था. एक अन्य अभियुक्त सफदर नागौरी ने जेल में गांधी दर्शन की पढ़ाई की. उसे मौत की सजा सुनाई गई.

    वे ऊंची अदालतों में अपील करेंगे

    मृत्युदंड प्राप्त अधिकांश अभियुक्तों को उनके परिजनों ने बेगुनाह बताया और कहा कि वे विशेष न्यायालय के फैसले के खिलाफ ऊची अदालतों में अपील करेंगे. उन्हें न्याय पाने की उम्मीद है.