BJP determined to implement UCC in its territories

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जिन मुद्दों पर बीजेपी हमेशा से जोर देती आई है उसमें यूनिफार्म सिविल कोड लागू करना अभी बाकी है. अन्य 2 मुद्दे- अयोध्या में राम मंदिर निर्माण तथा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने में बीजेपी को पहले ही सफलता मिल चुकी है. अब यह पार्टी अपने शासित प्रदेशों में यूसीसी लागू करने की दिशा में सक्रिय है. शुरूआत में उत्तराखंड में वह इसे शीघ्र लाने के लिए तत्परता दिखा रही है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी के अनुसार समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए गठित की गई विशेषज्ञ समिति जल्द ही अपना ड्राफ्ट सरकार को सौंप सकती है. जैसे ही हमें ड्राफ्ट मिलेगा, हम इसे देवभूमि उत्तराखंड में लागू करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे. समान नागरिक संहिता तैयार करने के लिए आम जनता की प्रतिक्रिया व सुझाव मंगाए गए थे. विशेषज्ञ समिति को लगभग 2,31,000 सुझाव भेजे गए. इसमें यह सुझाव उल्लेखनीय था कि लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाई जाए ताकि उन्हें ग्रेजुएट होने का मौका मिले. विवाह का रजिस्ट्रेशन न होने पर सरकारी सुविधाएं नहीं देने और पति-पत्नी दोनों के पास तलाक के समान अधिकार देने के अलावा सुझावों में बहुविवाह पर पूरी तरह रोक लगाने की बात भी कही गई है. सभी देशवासियों के लिए समान कानून लाने का लक्ष्य है.

मुस्लिमों का विरोध

मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने समान नागरिक संहिता से जुड़े प्रावधानों को नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता व संविधान की आत्मा नष्ट करने का प्रयास करार देते हुए कहा कि यह मुस्लिम समुदाय को नामंजूर है क्योंकि इससे भारत की एकता व अखंडता को चोट पहुंचती है. इस संगठन के अध्यक्ष मौलाना आशद मदनी ने कहा कि कानूनी दायरे में रहकर यूसीसी का विरोध किया जाएगा.

विधि आयोग नए सिरे से विचार करेगा

22 वें विधि आयोग ने कहा कि उसने समान नागरिक संहिता पर नए सिरे से विचार करने का फैसला किया है. इसके पूर्व 21 वें विधि आयोग ने 208 में कहा था कि वर्तमान स्थिति में समान नागरिक संहिता न तो आवश्यक है और न वांछनीय है. उस समय राय दी गई थी कि विभिन्न धर्मों से जुड़े कानूनों में एक समता लाने की बजाय विभिन्न वैयक्तिक कानूनों (पर्सनल ला) में हर प्रकार के भेदभाव को दूर करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए. ये मुद्दे हैं विवाह, तलाक, उत्तराधिकार तथा गोद लेना. इन मुद्दों पर समाज में एक ही तरह के नियम लागू नहीं किए जा सकते. लोगों का मानना है कि 2018 से अब तक स्थितियों में कोई खास बदलाव नहीं आया है लेकिन चुनावी राजनीति को देखते हुए बीजेपी समान नागरिक संहिता की दिशा में आगे बढ़ना चाहती है. समूचे देश में यूसीसी लागू करना एक ऊंचा लक्ष्य हो सकता है लेकिन इसे लागू करने से व्यक्तिगत कानून (पर्सनल लॉ) प्रभावित होंगे और धार्मिक स्वतंत्रता पर आंच आएगी.

कोई भेदभाव न हो

डॉ. बीआर अंबेडकर ने यूनिफार्म सिविल कोड को वांछनीय बताया था लेकिन कहा था कि यह ऐच्छिक हो तो बेहतर रहेगा. संभव है कि किसी धर्म में दखल न देते हुए यूसीसी लागू किया जाए परंतु इसे लेकर अल्पसंख्यकों में चिंता है कि उनके धार्मिक विश्वासो व परंपराओं की अवहेलना होगी. यह आश्वस्त किया जाना चाहिए कि यूसीसी लागू करते समय समानता का सिद्धांत अपनाया जाएगा और कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा.